हिन्दू धर्म में एकादशी व्रतों का विशेष आध्यात्मिक महत्व है और मोक्षदा एकादशी उनमें अत्यंत पुण्यदायी मानी जाती है। मोक्षदा का अर्थ है मोह और कर्म बंधन से मुक्ति देने वाली। शास्त्रों के अनुसार इस दिन श्रद्धा और विधि पूर्वक व्रत करने से न केवल व्यक्ति स्वयं पापों से मुक्त होता है, बल्कि उसके पूर्वजों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि यह एकादशी आत्मशुद्धि, ज्ञान और भक्ति का अनुपम संगम मानी जाती है।
वर्ष 2026 में मोक्षदा एकादशी मंगलवार, 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। एकादशी तिथि का प्रारंभ 29 अक्टूबर 2026 को दोपहर 02:03 बजे होगा और तिथि की समाप्ति 30 अक्टूबर 2026 को दोपहर 01:47 बजे होगी। व्रत का पारण 31 अक्टूबर 2026 को प्रातः 07:04 बजे से 09:17 बजे के बीच किया जाएगा। ध्यान रखें कि द्वादशी तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 12:44 बजे समाप्त होगी, अतः पारण इसी अवधि में करना शास्त्र सम्मत माना गया है।
मोक्षदा एकादशी व्रत की तैयारी दशमी तिथि से ही प्रारंभ कर दी जाती है। दशमी के दिन दोपहर में एक बार भोजन किया जाता है और रात्रि में भोजन नहीं किया जाता। एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। पूजन में धूप, दीप, नैवेद्य और पुष्प अर्पित किए जाते हैं। रात्रि में भजन कीर्तन और जागरण करने का विधान है। द्वादशी के दिन ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन और दान देकर पारण किया जाता है।
मोक्षदा एकादशी का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसी दिन गीता जयंती मनाई जाती है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसी तिथि को अर्जुन को श्रीमद् भगवद्गीता का उपदेश दिया था। गीता केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। इसके अध्ययन और मनन से अज्ञान का नाश होता है और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। इस दिन श्रीकृष्ण, महर्षि वेदव्यास और श्रीमद् भगवद्गीता का पूजन करने से जीवन में सही दिशा और वैराग्य भाव जाग्रत होता है।
प्राचीन काल में गोकुल नगर में वैखानस नामक एक राजा राज्य करता था। एक रात उसने स्वप्न में अपने पिता को नरक में कष्ट भोगते हुए देखा। व्याकुल राजा ने पर्वत मुनि से उपाय पूछा। मुनि ने बताया कि पूर्व कर्मों के कारण उसके पिता को यह दुःख भोगना पड़ रहा है और उनके उद्धार के लिए मोक्षदा एकादशी का व्रत करना आवश्यक है। राजा ने विधि पूर्वक यह व्रत किया और उसका पुण्य अपने पिता को अर्पित किया। व्रत के प्रभाव से उसके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई। यह कथा इस व्रत की महिमा और शक्ति को स्पष्ट करती है।
शास्त्रों के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के पाप नष्ट होते हैं और उसे कर्म बंधनों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत पूर्वजों के उद्धार और आत्मिक उन्नति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। श्रद्धा, संयम और भक्ति भाव से किया गया यह व्रत जीवन को आध्यात्मिक शांति और मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर करता है।