नर्मदा जयंती कब है

नर्मदा जयंती कब मनायी जाएगी, जानें इसकी तिथि और शुभ मुहूर्त


हिंदू धर्म में प्रकृति को विशेष महत्व दिया जाता है। इसमें, वृक्षों से लेकर पशु-पक्षियों तक को पूजनीय माना जाता है। नदियां को भारतीय संस्कृति में पवित्र और पूजनीय माना गया है। इसी कारण नदियों को माता कहकर भी संबोधित किया जाता है। इन्हीं में से एक नदी नर्मदा है। नर्मदा को भारत की सबसे प्राचीन नदियों में से एक माना जाता है। माघ माह में शुक्ल पक्ष सप्तमी को प्रतिवर्ष नर्मदा जयंती मनाई जाती है। तो आइए, इस आर्टिकल में नर्मदा जयंती की तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं। 

जानिए नर्मदा जयंती की तिथि


  • सप्तमी तिथि प्रारम्भ:- 04 फरवरी 2025 को सुबह 04:37 बजे से।
  • सप्तमी तिथि समाप्त:- 05 फरवरी 2025 को मध्यरात्रि 02:30 बजे।
 

जानिए नर्मदा जयंती का शुभ मुहूर्त 


  • पूजा का शुभ मुहूर्त:- सुबह 05:49 से 07:08 तक।
  • अभिजीत मुहूर्त:- दोपहर 12:13 से 12:57 तक।
  • अमृत काल:- दोपहर 03:03 से 04:34 बजे के बीच। 
  • सर्वार्थ सिद्धि योग:- सुबह 07:08 से रात्रि 09:49 बजे तक। 

जानिए क्यों खास है नर्मदा नदी?  


करीब 1000 से भी अधिक किलोमीटर की यात्रा में नर्मदा नदी पहाड़, जंगल और कई प्राचीन तीर्थों से होकर गुजरती हैं। वेद, पुराण, महाभारत और रामायण सभी ग्रंथों में इसका जिक्र है। इसका एक नाम रेवा भी है। माघ माह में शुक्ल पक्ष सप्तमी को नर्मदा जयन्ती मनायी जाती है। इस पावन दिवस के अवसर पर भक्तगण नर्मदा नदी की पूजा करते हैं। यह माना जाता है कि, माँ नर्मदा के पूजन से भक्तों के जीवन में शान्ति तथा समृद्धि का आगमन होता है। मध्य प्रदेश के अमरकण्टक नामक स्थान से नर्मदा नदी का उद्गम होता है। अमरकण्टक, नर्मदा जयन्ती के पूजन के लिये सर्वाधिक लोकप्रिय स्थान है। यह नदी इतनी पवित्र है कि गंगा में स्नान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है, वह इस नदी के दर्शन मात्र से ही मिल जाता है।

जानिए कैसे हुए नर्मदा नदी की उत्पत्ति? 


पौराणिक कथा के अनुसार, नर्मदा ने भगवान शिव की बहुत तपस्या की थी। फलस्वरूप वह शिव जी की कृपा से एक 12 साल की कन्या रूप में धरती पर उत्पन्न हुई थीं। इस कारण नर्मदा के हर कंकड़ में भी शिव का वास है और उन्हें शिव की पुत्री भी माना जाता है। हर पत्थर में शिव का वास होने के कारण इस नदी से निकले हर पत्थर को बिना प्राण-प्रतिष्ठा के भी पूजा जा सकता है। कई लोग यह रहस्य नहीं जानते। इसलिए, वे दूसरे पत्थर से निर्मित शिवलिंग स्थापित करते हैं लेकिन फिर उनकी प्राण-प्रतिष्ठा अनिवार्य हो जाती है। नर्मदा नदी ने भगवान शिव से कई वरदान भी लिए थे। जैसे कि वो विश्व में एकमात्र पाप-नाशिनी नदी हों और उनकी नदी से निकला हर पत्थर नर्मदेश्वर के रूप में जाना जाए। हर शिव-मंदिर में इसी दिव्य नदी से निकले पत्थर के शिवलिंग विराजमान हों और उनके तट पर शिव-पार्वती सहित सभी देवता निवास करें। 

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दुर्गा पूजा पुष्पांजली

प्रथम पुष्पांजली मंत्र
ॐ जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी ।
दुर्गा, शिवा, क्षमा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोऽस्तु ते॥
एष सचन्दन गन्ध पुष्प बिल्व पत्राञ्जली ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः॥ Pratham Puspanjali Mantra
om jayanti, mangla, kali, bhadrakali, kapalini .
durga, shiva, kshama, dhatri, svahaa, svadha namo̕stu te॥
esh sachandan gandh pusp bilva patranjali om hrim durgaye namah॥

माँ की लाल रे चुनरिया(Maa Ki Laal Re Chunariya)

माँ की लाल रे चुनरिया,
देखो लहर लहर लहराए,

भगवान परशुराम कौन हैं

सनातन धर्म में भगवान परशुराम को भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में पूजा जाता है, जिनका जन्म त्रेता युग में हुआ था और उनका उद्देश्य धरती पर धर्म की स्थापना और अधर्मियों का विनाश करना था।

बोल बम बम प्यारे बोल बम बम (Bol Bam Bam Pyare Bol Bam Bam)

बम बम बम बम बम बम बम बम,
जिंदगी में कुछ भी रहेगा नही गम,

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