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पुत्रदा एकादशी के उपाय

पुत्रदा एकादशी के उपाय

Putrada Ekadashi Upay: पुत्रदा एकादशी पर करें ये पांच विशेष उपाय, प्राप्त होगा संतान सुख

हिंदू धर्म में एकादशी व्रतों का विशेष स्थान है, और श्रावण मास में आने वाली पुत्रदा एकादशी संतान सुख की कामना करने वाले दंपतियों के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है। वर्ष 2025 में यह पावन तिथि 5 अगस्त, मंगलवार को आ रही है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन श्रद्धा व विश्वास के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने से संतान की प्राप्ति और संतति के जीवन में सुख-समृद्धि के योग बनते हैं।

भगवान विष्णु को तुलसी दल करें अर्पित 

पुत्रदा एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। फिर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र पर गंगाजल छिड़कें। इसके पश्चात उन्हें तुलसी दल अर्पित करें।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, तुलसी श्रीहरि को अतिप्रिय हैं और यह अर्पण संतान प्राप्ति में सहायक होता है। पूजा के अंत में विष्णु आरती करें और भक्ति भाव से ‘ॐ नारायण नमः’ का जप करें।

संतान गोपाल मंत्र का करें जाप 

इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के संतान गोपाल रूप की उपासना अत्यंत शुभ मानी गई है। 

  • ॐ श्री वत्सलाय विद्महे बाल गोपालाय धीमहि तन्नो गोपाल: प्रचोदयात्।’ मंत्र का जाप करें
  • इस मंत्र का जाप एक कमल या पीले आसन पर बैठकर 108 बार करें। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपति यह जाप नियमित रूप से पुत्रदा एकादशी से प्रारंभ करें।

पीले वस्त्र और पीली मिठाई का लगाएं भोग 

भगवान विष्णु को पीला रंग अत्यंत प्रिय होता है। इस दिन उन्हें पीले वस्त्र, पीली मिठाई, जैसे बेसन के लड्डू या बूंदी का भोग अर्पित करें। यह उपाय दाम्पत्य जीवन में मधुरता लाता है। भोग अर्पण के बाद उसी भोग को संतान सहित ग्रहण करना विशेष फलदायी माना गया है।

जरूरतमंद बच्चों को करें दान 

पुत्रदा एकादशी के दिन गरीब व असहाय बच्चों को वस्त्र, अन्न, फल, मिठाई या शिक्षा सामग्री दान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है।

यह दान संतान से संबंधित दोषों को शांति प्रदान करता है और संतान की लंबी उम्र, सुखद स्वास्थ्य और जीवन के लिए भगवान का आशीर्वाद दिलाता है।

दंपति मिलकर व्रत कथा सुनें और पूजा करें 

पुत्रदा एकादशी व्रत के दिन पति-पत्नी को मिलकर व्रत रखना चाहिए और भगवान विष्णु की पुत्रदा एकादशी व्रत कथा श्रवण या पाठ करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को दंपति एक साथ करेंगे, तो संतान संबंधी सभी बाधाएं समाप्त होती हैं। संतान न होने की पीड़ा से मुक्ति मिलती है और सुख-शांति घर में बनी रहती है।

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