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सकट चौथ 2026 कब है

सकट चौथ 2026 कब है

Sakat Chauth 2026 : जनवरी में इस दिन पड़ेगी सकट चौथ, माताएं संतानों की दीर्घायु के लिए रखती हैं व्रत

हिन्दू धर्म में सकट चौथ का व्रत संतान सुख और परिवार की मंगल कामना से जुड़ा हुआ माना जाता है। उत्तर भारत में इसे सकट चौथ कहा जाता है, जबकि कई क्षेत्रों में यह संकष्टी चतुर्थी के नाम से प्रसिद्ध है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से संतान के जीवन से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं। यह व्रत चंद्र दर्शन के साथ पूर्ण होता है, इसलिए इसका आध्यात्मिक और भावनात्मक महत्व और भी बढ़ जाता है।

सकट चौथ 2026 की तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार वर्ष 2026 में सकट चौथ मंगलवार, 6 जनवरी को मनाई जाएगी। चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 6 जनवरी 2026 को प्रातः 08:01 बजे होगा और तिथि की समाप्ति 7 जनवरी 2026 को प्रातः 06:52 बजे होगी। इस दिन चंद्रोदय का समय रात्रि 08:54 बजे निर्धारित है। सकट चौथ का व्रत चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही खोला जाता है।

सकट चौथ का धार्मिक महत्व

सकट चौथ का पर्व सकट माता की कृपा और भगवान गणेश के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया व्रत संतान के जीवन से रोग, भय और बाधाओं को दूर करता है। महिलाएं विशेष रूप से इस व्रत को संतान की दीर्घायु और उज्ज्वल भविष्य के लिए करती हैं। महाराष्ट्र जैसे राज्यों में यही पर्व लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है, जहां भक्त संकटों से मुक्ति के लिए उपवास रखते हैं।

सकट चौथ पूजा विधि

सकट चौथ के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद चौकी पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। गणेश जी को सिंदूर, दूर्वा, पुष्प और फल अर्पित करें। व्रत कथा का पाठ करें और दिनभर संयम रखें। रात्रि में चंद्रमा के उदय होने पर चंद्र देव को जल अर्पित करें। इसके बाद भगवान गणेश का स्मरण कर व्रत का पारण करें।

सकट चौथ से जुड़ी मान्यताएं और नाम

सकट चौथ को संकट चौथ, तिलकुटा चौथ, वक्रतुंडी चतुर्थी और माघी चौथ के नाम से भी जाना जाता है। राजस्थान में सकट नामक ग्राम में स्थित सकट देवी का मंदिर इस व्रत से विशेष रूप से जुड़ा माना जाता है। कहा जाता है कि सकट माता अत्यंत कृपालु हैं और श्रद्धा से व्रत करने वालों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

सकट चौथ पर गणेश मंत्र जप का महत्व

इस दिन भगवान गणेश के मंत्रों का जप विशेष फलदायी माना जाता है। वक्रतुंड महाकाय मंत्र और एकदंताय मंत्र का जाप करने से विघ्न बाधाएं दूर होती हैं और घर में सुख समृद्धि आती है। गणेश जी को प्रथम पूज्य माना गया है, इसलिए सकट चौथ पर उनकी आराधना जीवन में स्थिरता और शांति प्रदान करती है।

सकट चौथ व्रत का फल

धार्मिक ग्रंथों और लोक मान्यताओं के अनुसार सकट चौथ का व्रत करने से संतान के जीवन के सभी संकट दूर होते हैं। यह व्रत मातृत्व भाव, आस्था और त्याग का प्रतीक है। श्रद्धा और नियम से किया गया यह व्रत परिवार में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि बनाए रखता है।

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