श्रावण मास का प्रत्येक पर्व और व्रत अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। ऐसे में जब सावन माह की पुत्रदा एकादशी आती है, तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है, और इस दिन तुलसी पूजन विशेष फलदायी माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि यदि तुलसी माता की विशेष विधि से पूजा की जाए तो संतान सुख, सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पुत्रदा एकादशी के दिन तुलसी पूजन का सबसे शुभ समय शाम के समय सूर्यास्त के बाद माना जाता है। तुलसी के पौधे को घर के आंगन या छत पर पूर्व या उत्तर दिशा में रखें। इसी दिशा में बैठकर पूजा करना श्रेष्ठ होता है।
तुलसी के पास गाय के शुद्ध घी का दीपक अवश्य जलाएं। दीपक को उत्तर या पूर्व दिशा में रखें। यह दीपक घर में धन-धान्य, समृद्धि और शांति लाने वाला माना जाता है। दीपक जलाने के बाद, नीचे दिए गए किसी भी मंत्र का 108 बार जाप करें:
साथ ही, तुलसी नामाष्टक या तुलसी चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं। ये सभी पाठ संतान प्राप्ति और पारिवारिक सुख की दृष्टि से लाभकारी होते हैं।
मंत्र जाप और पाठ के बाद तुलसी माता की 11, 21 या 51 बार परिक्रमा करें। हर परिक्रमा में तुलसी माता का स्मरण और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
पूजन के अंत में हाथ जोड़कर तुलसी माता और भगवान विष्णु से अपनी मनोकामनाएं प्रकट करें। विशेषकर यदि संतान प्राप्ति, सुख-शांति या आर्थिक समृद्धि की इच्छा है, तो इसे पूर्ण श्रद्धा से कहें।