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सावन पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि

सावन पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि

Putrada Ekadashi Puja Vidhi: पुत्रदा एकादशी पर कौन सा दीपक जलाने से होती है धन की प्राप्ति, जानें तुलसी पूजन की विधि  

श्रावण मास का प्रत्येक पर्व और व्रत अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। ऐसे में जब सावन माह की पुत्रदा एकादशी आती है, तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है, और इस दिन तुलसी पूजन विशेष फलदायी माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि यदि तुलसी माता की विशेष विधि से पूजा की जाए तो संतान सुख, सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

तुलसी पूजन का शुभ समय और स्थान

पुत्रदा एकादशी के दिन तुलसी पूजन का सबसे शुभ समय शाम के समय सूर्यास्त के बाद माना जाता है। तुलसी के पौधे को घर के आंगन या छत पर पूर्व या उत्तर दिशा में रखें। इसी दिशा में बैठकर पूजा करना श्रेष्ठ होता है।

मां तुलसी को अर्पित करें पीले फूल 

  • एकादशी के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और शुद्ध, पीले या सफेद रंग के वस्त्र धारण करें। यह रंग भगवान विष्णु और तुलसी माता को प्रिय हैं।
  • साफ तांबे के लोटे या कलश से तुलसी के पौधे को जल चढ़ाएं। इसमें गंगाजल मिलाना अति शुभ होता है। जल चढ़ाते समय ‘ॐ तुलस्यै नमः’ मंत्र का जप करें।
  • तुलसी को चंदन, कुमकुम, सिंदूर और हल्दी लगाएं। लाल या पीले कपड़े का छोटा टुकड़ा भी अर्पित करें। साथ ही ताजे पीले फूल और फल चढ़ाएं।

गाय के शुद्ध घी से जलाएं दीपके

तुलसी के पास गाय के शुद्ध घी का दीपक अवश्य जलाएं। दीपक को उत्तर या पूर्व दिशा में रखें। यह दीपक घर में धन-धान्य, समृद्धि और शांति लाने वाला माना जाता है। दीपक जलाने के बाद, नीचे दिए गए किसी भी मंत्र का 108 बार जाप करें:

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
  • तुलसी गायत्री मंत्र:
  • ॐ तुलस्यै विद्यामहे विष्णुप्रियाय धीमहि तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्

साथ ही, तुलसी नामाष्टक या तुलसी चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं। ये सभी पाठ संतान प्राप्ति और पारिवारिक सुख की दृष्टि से लाभकारी होते हैं।

तुलसी पूजा के अंत में करें प्रार्थना 

मंत्र जाप और पाठ के बाद तुलसी माता की 11, 21 या 51 बार परिक्रमा करें। हर परिक्रमा में तुलसी माता का स्मरण और भगवान विष्णु का ध्यान करें।

पूजन के अंत में हाथ जोड़कर तुलसी माता और भगवान विष्णु से अपनी मनोकामनाएं प्रकट करें। विशेषकर यदि संतान प्राप्ति, सुख-शांति या आर्थिक समृद्धि की इच्छा है, तो इसे पूर्ण श्रद्धा से कहें।

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