हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत मनाया जाता है। यह व्रत भगवान कार्तिकेय को समर्पित होता है, जिन्हें स्कंद, मुरुगन या कुमारस्वामी के नाम से भी जाना जाता है। स्कंद षष्ठी का पर्व विशेष रूप से तमिल संस्कृति में अत्यधिक श्रद्धा से मनाया जाता है, लेकिन अब यह उत्तर भारत सहित देश के अन्य हिस्सों में भी व्यापक रूप से मनाया जाता है।
पंचांग के अनुसार, षष्ठी तिथि का प्रारंभ 30 जून, सुबह 09:23 बजे से होगा और षष्ठी तिथि का समापन 1 जुलाई, सुबह 10:20 बजे होगा।
सूर्योदय के अनुसार, वर्ष 2025 में स्कंद षष्ठी 30 जून को मनाई जाएगी।
भगवान कार्तिकेय, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं, जिन्हें युद्ध, साहस, पराक्रम और बुद्धि का देवता माना जाता है। दक्षिण भारत में इन्हें ‘तमिल काव्य संस्कृति के अधिष्ठाता देव’ के रूप में भी पूजा जाता है।
इस व्रत का विशेष महत्व उन भक्तों के लिए होता है जो संतान सुख की प्राप्ति, धन-संपत्ति में वृद्धि, और जीवन की कठिनाइयों से छुटकारा पाना चाहते हैं। स्कंद षष्ठी पर व्रत और पूजा से शत्रु बाधा का नाश होता है और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।