वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला एक विशेष व्रत है, जो पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य के लिए किया जाता है। यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है, तथा 2025 में यह व्रत सोमवार, 26 मई को मनाया जाएगा।
वट वृक्ष को हिंदू धर्म में अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। इसकी शाखाएं और विस्तृत जड़ें दीर्घायु और परिवार की समृद्धि की रक्षा करती हैं। महिलाएं इस व्रत को यह कामना करते हुए रखती हैं कि उनका वैवाहिक जीवन सुखमय और अटूट बना रहे।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वट वृक्ष में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु और शाखाओं में महेश यानी भगवान शिव का वास माना गया है। इसलिए जब महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं, तो वे एक साथ त्रिदेव की कृपा प्राप्त करने की भावना से पूजन करती हैं।
वट सावित्री व्रत कथा के अनुसार, सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस पाने के लिए वट वृक्ष के नीचे बैठकर प्रार्थना की थी। उनकी दृढ़ निष्ठा और तप से प्रसन्न होकर यमराज ने सत्यवान को जीवनदान दिया। तभी से वट वृक्ष को विवाहित महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाने लगा।