हिंदू धर्म में एकादशी व्रतों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। हर महीने में दो एकादशी तिथियां आती हैं, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इनमें से आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। यह व्रत न केवल पापों के नाश का मार्ग बताता है, बल्कि मोक्ष प्राप्ति का साधन भी माना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, योगिनी एकादशी की तिथि 20 जून को शाम 4 बजकर 42 मिनट से प्रारंभ होकर 21 जून को शाम 6 बजकर 24 मिनट तक रहेगी।
सूर्योदय तिथि के अनुसार, योगिनी एकादशी व्रत 2025 में 21 जून, शनिवार को रखा जाएगा। उदया तिथि का पालन करना एकादशी व्रतों में अत्यंत आवश्यक माना गया है, क्योंकि उदयकाल की तिथि को व्रत रखने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
योगिनी एकादशी का व्रत रखने के बाद द्वादशी तिथि में उसका पारण करना अनिवार्य होता है। पारण का समय अत्यंत शुद्ध और शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए, ताकि व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।
2025 में योगिनी एकादशी का व्रत पारण 22 जून को दोपहर 1 बजकर 47 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 35 मिनट तक किया जाएगा। इस दौरान व्रतधारी जल, फल अथवा अन्न ग्रहण कर सकते हैं। यदि इस अवधि में पारण नहीं किया गया, तो व्रत अधूरा माना जाता है और इसका फल भी कम हो जाता है।
भक्तों को एक दिन पूर्व यानी दशमी तिथि की रात को सात्विक भोजन कर लेना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की प्रतिमा पर पीले पुष्प, तुलसी दल, फल और पंचामृत से पूजा करें। दिन भर उपवास रखें और श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
शिव शंकर भोलेनाथ,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे,
शिव शंकर डमरू धारी,
है जग के आधार,
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
श्री राम से कह देना,
एक बात अकेले में,