उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित बमनसुयाल मल्ला लखनपुर का त्रिनेत्रेश्वर मंदिर और एकादश रूद्र मंदिरों का समूह भारतीय स्थापत्य कला का एक अद्भुत नमूना है। यह मंदिर समूह थमिया और सुयाल नदी के संगम पर बसा हुआ है, और इसकी स्थापत्य कला अपनी सुंदर बनावट के लिए जानी जाती है। थामिया गधेरे के उत्तरी किनारे पर स्थित इन पांच मंदिरों में प्रमुख रूप से त्रिनेत्रेश्वर मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इसके अलावा, कार्तिकेय मंदिर, उमा-महेश मंदिर, बटुक भैरव मंदिर और हर हर महादेव मंदिर भी इस समूह में शामिल हैं। इस मंदिर समूह की स्थापत्य कला इतनी अद्भुत है कि यह दूर-दूर से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। अब ऐसे में त्रिनेत्रेश्वर मंदिर की मान्यता क्या है और पौराणिक महत्व क्या है?
त्रिनेत्रेश्वर मंदिर हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। इस मंदिर में भगवान शिव को त्रिनेत्रेश्वर के रूप में पूजा जाता है। भगवान शिव के तीन नेत्र का विशेष महत्व है। ये तीन नेत्र ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन नेत्रों से निकलने वाली शक्ति संपूर्ण ब्रह्मांड को नियंत्रित करती है। इस मंदिर में पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि यहां मन से मांगी गई मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बता दें, त्रिनेत्रेश्वर मंदिर को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। यहां भगवान शिव अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं।
पौराणिक कथाओं, ऐसा कहा जाता है कि एक बार, खेल-खेल में माँ पार्वती ने भगवान शिव की आंखें अपनी कोमल हथेलियों से ढक लीं। इस अचानक हुए अंधकार से संपूर्ण ब्रह्मांड अँधेरे में डूब गया। इस विपत्ति को देखकर भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोलकर संसार को पुनः प्रकाश से भर दिया। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह पावन स्थान वही है जहां मां पार्वती ने भगवान शिव के साथ लीला करते हुए उनकी आँखें बंद की थीं, और इसीलिए इसे त्रिनेत्रेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है।
भगवान शिव के पास भी दो ही आंखें हैं, तीसरी आंख नहीं। उनकी तीसरी आंख दरअसल ज्ञानचक्षु है। लगातार साधना और एकाग्रता से उन्हें यह ज्ञानचक्षु प्राप्त हुआ है। यह आंख किसी और देवता के पास नहीं है। इस अद्भुत ज्ञान के कारण ही उन्हें देवों के देव महादेव कहा जाता है। वे अपनी बुद्धि और ज्ञान की मदद से भविष्य में होने वाली घटनाओं को समझ लेते हैं। भगवान शिव को भविष्य के बारे में पता होता है क्योंकि उनके पास ज्ञान का विशेष चश्मा है। कहते हैं कि जिस व्यक्ति के मन में अच्छे काम करने की भावना होती है और जो भविष्य को देख सकता है, उसके पास एक तीसरी आँख होती है। यह तीसरी आँख ध्यान और अभ्यास से प्राप्त होती है। कोई भी व्यक्ति लगातार अभ्यास करके यह तीसरी आँख प्राप्त कर सकता है।
नई उमंग और उत्साह के साथ फरवरी 2025 की शुरुआत होने वाली है। मिथुन राशि के लिए यह महीना नए अवसर और चुनौतियों से भरा होगा। अपने करियर में प्रगति के लिए आपको नई रणनीतियों को अपनाना होगा और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए स्वस्थ आदतों को अपनाना होगा।
फरवरी 2025 कर्क राशि के लिए एक मिश्रित महीना होने की संभावना है। इस महीने में आपको अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में संतुलन बनाने की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
फरवरी 2025 सिंह राशि के लिए एक महत्वपूर्ण महीना होने की संभावना है। इस महीने में आपको अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन साथ ही आपको कई अवसर भी मिलेंगे जो आपके जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
फरवरी 2025 कन्या राशि के लिए एक महत्वपूर्ण महीना होने की संभावना है। इस महीने में, आपको अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन साथ ही आपको कई अवसर भी मिलेंगे जो आपके जीवन को बेहतर बना सकते हैं।