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श्री बेट द्वारकाधीश मंदिर गुजरात (Shri Bet Dwarkadhish Temple, Gujarat)

श्री बेट द्वारकाधीश मंदिर गुजरात (Shri Bet Dwarkadhish Temple, Gujarat)

500 साल पुराना है बेट द्वारकाधीश मंदिर, कभी भगवान कृष्ण इस जगह पर निवास करते थे 


बेट द्वारका में भगवान श्री कृष्ण का मंदिर है। यह मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। गुजरात के जामनगर जिले में स्थित यह द्वारका भारत के 4 धाम में से एक है। द्वारका से लगभग 30 किलोमीटर दूर ओखा के निकट स्थित है बेट द्वारका। यहाँ भगवान कृष्ण निवास करते थे और उनका दरबार द्वारका में लगता था। भगवान श्रीकृष्ण और उनके बचपन के मित्र सुदामा जी से भेंट होने के कारण भी इसे बेट द्वारका कहा जाता है। इस 5 मजिल ऊँचे भव्य मंदिर की सुन्दरता देखकर और मंदिर के शिखर पर लहराती मनमोहक विशाल ध्वजा को देखकर आप पलके भी नहीं झपका पाएंगे।  


मंदिर के शिखर की यह 84 फुट लम्बी ध्वजा प्रतिदिन पांच बार बदली जाती है। बता दें कि मंदिर में ग्यारह बार श्री द्वारकाधीश के सम्मुख भोग समर्पित किये जाते हैं। कहा जाता है कि अरब सागर के किनारे बसी द्वारका समुद्री चक्रवात और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण अब तक छः बार समुद्र में डूब चुकी है। यानि कि अभी जो द्वारका नगरी हमारे सामने उपस्थित है, वह सातवीं बार बसाई गई द्वारका है।


मंदिर की विशेषता 


मंदिर में 2 द्वार है मोक्ष द्वार और स्वर्ग द्वार। आपको स्वर्ग द्वार से मंदिर के भीतर प्रवेश करना है। दर्शन लाइन में लगने के बाद 1-2 घंटे का समय द्वारकाधीश तक पहुचने में लगता है। दर्शन करने के बाद मोक्ष द्वार से बाहर की ओर आ जाते है। 

द्वारका में ठहरने की व्यवस्था


द्वारका में रुकना है तो रिलाइंस ट्रस्ट का कोकिला धीरजधाम सबसे उचित स्थान है। यहाँ नॉन एसी रूम 600 रूपये में और एसी रूम 980 रूपये में उपलब्ध है। वहीं होटल में 600 रूपये में नॉन एसी और 1000 रूपये से एसी रूम मिलना शुरू होता है। 


कैसे पहुंचे?


द्वारका से लगभग 127 किलोमीटर की दूरी पर जामनगर एयरपोर्ट और 107 किलोमीटर की दूरी पर पोरबंदर एयरपोर्ट स्थित है। यहाँ से आप टैक्सी या कैब के जरिये द्वारका पहुँच सकते हैं। इसके अलावा द्वारका रेलवे स्टेशन के लिए भारत के प्रमुख शहरों से रेल सेवा उपलब्ध है। जो गुजरात को भारत के सभी शहरों से जोड़ती हैं। इसके साथ ही द्वारका सड़क मार्ग कई राज्य के राजमार्गों से जुड़ा हुआ है। देश के कई बड़े शहरों से द्वारका के लिए बस सेवाएँ भी उपलब्ध है।

समय  : सुबह 6:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे, शाम 5:00 बजे से रात 9:30 बजे 
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Shani Jayanti Katha (शनि जयंती की कथा)

शनि जयंती, भगवान शनि के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है, जो ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों को शांत करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

शनि जयंती पर बन रहा सुकर्मा योग

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शनि जयंती के यम-नियम

शनि जयंती, भगवान शनि के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है, जो ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को आती है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इस साल शनि जयंती 27 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी।

Jyeshtha Amavasya 2025 (ज्येष्ठ अमावस्या 2025 कब है)

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