चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है, जो अपने भक्तों को डर और संकट से मुक्ति दिलाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कालरात्रि का अर्थ होता है, काल यानी मृत्यु और भय को भी अपने वश में करने वाला, जिन्हें हम मां कालरात्रि के नाम से जानते हैं। मां कालरात्रि की पूजा से भय खत्म होता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
मां कालरात्रि की पूजा में इन सभी सामग्रियों का विशेष रूप से उपयोग करें, इससे भय और कष्ट की समाप्ति होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि की पूजा से अनेक लाभ होता हैं। मां कालरात्रि अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। साथ ही उन्हें भय और बुरी शक्तियों से भी बचाती हैं। चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की विधिवत रूप से पूजा करें। इससे सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है, तथा तनाव से मुक्ति मिलती है और मानसिक स्थिरता बनी रहती है।
हिंदू धर्म में कुबेर को धन के देवता के रूप में पूजा जाता है। उन्हें यक्षों का राजा भी कहा जाता है और वे समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं।
नाम मेरी राधा रानी का जिस जिस ने गाया है,
बांके बिहारी ने उसे अपना बनाया है,
कार्तिगाई दीपम उत्सव दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो भगवान कार्तिकेय को समर्पित है।
नाम तेरा दुर्गे मैया हो गया,
दुर्गुणों का नाश करते करते ॥