चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है, जो अपने भक्तों को डर और संकट से मुक्ति दिलाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कालरात्रि का अर्थ होता है, काल यानी मृत्यु और भय को भी अपने वश में करने वाला, जिन्हें हम मां कालरात्रि के नाम से जानते हैं। मां कालरात्रि की पूजा से भय खत्म होता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
मां कालरात्रि की पूजा में इन सभी सामग्रियों का विशेष रूप से उपयोग करें, इससे भय और कष्ट की समाप्ति होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि की पूजा से अनेक लाभ होता हैं। मां कालरात्रि अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। साथ ही उन्हें भय और बुरी शक्तियों से भी बचाती हैं। चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की विधिवत रूप से पूजा करें। इससे सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है, तथा तनाव से मुक्ति मिलती है और मानसिक स्थिरता बनी रहती है।
पाण्डुनन्दन भगवान् कृष्ण से हाथ जोड़ कर नम्रता पूर्वक बोले हे नाथ ! अब आप कृपा कर मुझसे माघ शुक्ल एकादशी का वर्णन कीजिए उस व्रत को करने से क्या पुण्य फल होता है।
इतनी कथा सुन महाराज युधिष्ठिर ने फिर भगवान् श्रीकृष्ण से पूछा कि अब आप कृपाकर फाल्गुन कृष्ण एकादशी का नाम, व्रत का विधान और माहात्म्य एवं पुण्य फल का वर्णन कीजिये मेरी सुनने की बड़ी इच्छा है।
एक समय अयोध्या नरेश महाराज मान्धाता ने प अपने कुल गुरु महर्षि वसिष्ठ जी से पूछा-भगवन् ! कोई अत्यन्त उत्तम और अनुपम फल देने वाले व्रत के इतिहास का वर्णन कीजिए, जिसके सुनने से मेरा कल्याण हो।
इतनी कथा सुनकर महाराज युधिष्ठिर बोले हे भगवन् ! आपके श्रीमुख से इन पवित्र कथाओं को सुन मैं कृतकृत्य हो गया।