Logo

मासिक जन्माष्टमी पर पूजन

मासिक जन्माष्टमी पर पूजन

Masik Krishna Janmashtami 2025: साल की पहली मासिक जन्माष्टमी पर इस तरह करें लड्डू गोपाल की पूजा


सनातन हिंदू धर्म में, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने का विधान है।  धार्मिक मान्यता है कि इससे साधक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। बता दें कि माघ माह की मासिक जन्माष्टमी, जो साल 2025 की पहली मासिक जन्माष्टमी होने वाली है। इस दिन श्री कृष्ण के सभी भक्त लड्डू गोपाल की पूजा-अर्चना कर उनकी विशेष कृपा के पात्र बन सकते हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में मासिक कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं।


मासिक कृष्ण जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त 


माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 21 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 22 जनवरी को दोपहर 03 बजकर 18 मिनट पर होगा। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा मध्य रात्रि में करने का विधान है। इसलिए, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत मंगलवार, 21 जनवरी को किया जाएगा। इस कारण मासिक कृष्ण जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से रात्रि 12 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। 


मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि


  • मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठना श्रेस्कर माना जाता है। 
  • इसलिए, इस दिन सुबह सवेरे उठकर स्नान करें और साफ़ कपड़े पहनें।
  • पूजा स्थल को साफ़ करें।
  • व्रत का संकल्प लें।
  • लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराएं।
  • लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान करवाने के बाद पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करवाएं। 
  • लड्डू गोपाल को नए कपड़े पहनाएं और उनका श्रृंगार करें।
  • लड्डू गोपाल को माखन-मिश्री का भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल भी डालें।
  • घी का दीपक जलाएं।
  • लड्डू गोपाल की आरती करें।
  • मंत्रों का जाप करें।
  • रातभर जागकर भजन-कथाएं सुनें।
  • इस दिन सत्य, अहिंसा, और संयम का पालन करना चाहिए। 
  • अंत में एक घी का दीपक जलाएं और लड्डू गोपाल की आरती व मंत्रों का जाप करें।


लड्डू गोपाल को इस तरह करें प्रसन्न 


जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल का सबसे पहले दूध, दही और गंगाजल से स्नान कराएं। उसके बाद बाल गोपाल को नये लाल, पीले या गुलाबी रंग के वस्त्र पहनाएं। फिर लड्डू गोपाल को आसन पर बैठाकर झूले पर बैठाएं। उसके बाद उनके सिर पर मोर मुकुट सजाएं और गले में वैजंयती माला पहनाएं। इसके बाद हाथों में छोटी सी मुरली रख दें और कानों में कुंडल पहनाएं। उसके बाद माथे पर चंदन का तिलक लगाएं और भोग में माखन मिश्री के साथ तुलसी दल जरूर रखें। फिर कृष्ण जन्माष्टमी की कथा का पाठ करें और बाल गोपाल की आरती करें। अंत में आरती करने के बाद बाल गोपाल को झूला झूलाएं और माखन मिश्री का भोग लगाएं। बता दें कि भोग लगाने के बाद वो प्रसाद स्वंय  सबको वितरित करें और अंत में उसे स्वयं ग्रहण करें।


जन्माष्टमी के दिन पढ़े जाने वाले मंत्र 


  • ॐ कृष्णाय नमः
  • ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय
  • ॐ देव्किनन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात
  • ओम क्लीम कृष्णाय नमः
  • गोकुल नाथाय नमः
  • ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः
  • हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
........................................................................................................
बसंत पंचमी पर महाकुंभ का स्नान क्यों है खास?

महाकुंभ जो कि दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है इस बार बसंत पंचमी पर विशेष रूप से खास होने वाला है। इस दिन महाकुंभ में तीसरा अमृत स्नान होना तय हुआ है जो कि त्रिवेणी संगम में होगा।

बसंत पंचमी कथा

बसंत पंचमी सनातन धर्म का विशेष पर्व है, जिसे माघ महीने में मनाया जाता है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा होती है। इस खास दिन पर माता शारदा की पूजा की जाती है और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।

बसंत पंचमी पूजा विधि

बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा का विधान है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन विधिपूर्वक मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी।

बसंत पंचमी पर गुलाल क्यों चढ़ाते हैं?

हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। कहते हैं कि इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन सरस्वती पूजा की जाती है। इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang