जानिए महाकुंभ पहुंचे आईआईटियन से बाबा बने अभय सिंह की कहानी
13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। वहीं, मकर संक्रांति के पवित्र स्नान पर करोड़ो साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने यहां आस्था की डुबकी भी लगाई है। कुंभ नगरी में बड़ी संख्या में देशभर से साधु-संत भी पहुंचे हैं। उन्हीं में एक ऐसे बाबा भी है जिन्हें लोग आईआईटियन बाबा कह रहे हैं। इनका नाम अभय सिंह है जिन्होंने मुंबई आईआईटी से इंजीनियरिंग की है, उनके जीवन से जु़ड़े तमाम पहलू बेहद दिलचस्प हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में एक इंजीनियर से बाबा बने अभय सिंह के जीवन की कहानी को और विस्तार से जानते हैं।
जानिए असलियत में कौन हैं आईआईटी वाले बाबा?
महाकुंभ में शामिल होने आए मसानी गोरख बाबा को आईआईटी बाबा का भी नाम दिया गया है। उन्होंने कई मीडिया और सोशल मीडिया चैनलों के माध्यम से अपनी कहानी लोगों को बताई है। आईआईटी बाबा का जन्म हरियाणा में हुआ लेकिन वो बहुत सारी जगहों पर रह चुके हैं। उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से एयरो स्पेस इंजीनियरिंग की है। उनका असली नाम अभय सिंह हैं।
हैरान कर देगी आईआईटी बाबा की कहानी
अभय सिंह से संन्यासी बने मसानी गोरख बाबा ने बताया कि जीवन में इससे बेहतर कोई अवस्था नहीं। ज्ञान के पीछे चलते जाओ चलते जाओ। पर अंत में सबको यहीं आना पड़ता है। बाबा ने बताया कि वो कई धार्मिक स्थलों पर रह चुके हैं। पिछले चार महीनों से काशी में रहे और ऋषिकेश में भी रहे। उन्होंने बताया कि उनका ठिकाना बदलता रहता है। और वे चारों धाम घूमते रहते हैं।
फोटोग्राफी की, बच्चों को भी पढ़ाया
उन्होंने आईआईटी मुंबई में चार साल पढ़ाई की। लेकिन फिर उन्होंने इंजीनियरिंग छोड़कर फोटोग्राफी शुरू कर दी। इससे पहले उन्होंने एक कोचिंग में बच्चों को फिजिक्स की पढ़ाया, पर उन्हें कुछ रास नहीं आया।
आईआईटी बाबा ने कहा कि उन्होंने कोचिंग में इसलिए पढ़ाया क्योंकि वो फोटोग्राफी करना चाहते थे लेकिन बिना डिग्री के कोई काम दे ही नहीं रहा था। इस बीच उन्होंने डिजाइनिंग में मास्टर की डिग्री हासिल की। इसके बाद फोटोग्राफी का काम शुरू किया, वो कई जगहों पर गए। इधर उधर घूमते रहे। लेकिन, फिर उनका इस सब से भी मन उचट गया तो वो संन्यासी जीवन में आ गए।
जानिए अभय के पिता ने क्या कहा?
सांसारिक और भोग वस्तुओं का त्याग कर अध्यात्म का रास्ता अपनाने की जानकारी जब अभय के पिता अधिवक्ता कर्ण सिंह को सोशल मीडिया से हुई। तो उन्होंने कहा कि उनका बेटा अभय सिंह बचपन से ही शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा होनहार था। अच्छा रैंक लाने के बाद उसे मुंबई आईआईटी में एडमिशन मिला। वह कोरोना काल में कनाडा में रहा। वहां अपनी बहन के पास ही रहकर उसने कई साल काम भी किया।
अध्यात्मिक बनने से अभय का परिवार खुश नहीं
कर्ण सिंह ने कहा कि कनाडा से आने के बाद अभय की हालत ठीक नहीं थी। इस लिए उसे उन्होंने भिवानी के एक नैचुरोपैथी चिकित्सालय में ले गए। वहीं, पर ध्यान इत्यादि के क्रम में वहां के डॉक्टरों ने अभय के अध्यात्म में जाने की बात बताई थी। वह बोले कि अभय के अध्यात्म की ओर जाने से वह या उनका परिवार खुश तो नहीं हैं। पर इतना जरूर है कि जो भी फैसला अभय ने लिया है उसके बारे में वह खुद ही कुछ भी बता सकता है।
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