13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ में इस बार कई अनोखी चीजें देखने को मिल रही हैं। संगम नगरी प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ में देश-विदेश से हजारों संत पहुंचे हैं। बता दें कि इस बार के महाकुंभ में ऐसी कई चीजें लोगों को पहली बार देखने को मिली हैं। इन्हीं में से एक रुद्राक्षों से तैयार किया गया द्वादश ज्योतिर्लिंग भी है। इसकी तैयारी मौनी बाबा के इस द्वारा की गई है। संत परमहंस आश्रम बाबूगंज अमेठी के पीठाधीश्वर मौनी बाबा की ओर से रुद्राक्ष के बारह शिवलिंग का निर्माण किया गया है।
महाकुंभ में भगवान शिव के विभिन्न ज्योर्तिलिंगों का दर्शन श्रद्धालुओं को इस बार मिलने जा रहा है। संत परमहंस आश्रम, बाबूगंज सगरा अमेठी के पीठाधीश्वर अभय चैतन्य ब्रह्मचारी मौनी बाबा की तरफ से इसे मूर्त रूप दिया गया है। यहां 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष से संगम किनारे बारह शिवलिंग का निर्माण किया गया है।
शिव की इस महा साधना में शिवलिंग के चारों तरफ 11 हजार त्रिशूल का स्थापित किए गए हैं। इन त्रिशूलों में काले रंग का त्रिशूल आतंकवाद का नाश करने वाला, पीले रंग का त्रिशूल महामारी का शमन करने हेतु, लाल रंग का त्रिशूल वैभव और लक्ष्मी की वृद्धि करने वाला और सफेद रंग का त्रिशूल ज्ञान की वृद्धि करने वाला है। ये 11 हजार त्रिशूल संगम किनारे स्थापित किए गए हैं। यह त्रिशूल बारह शिवलिंग के चारों तरफ लगाए गए हैं। यह अनुष्ठान हिंदू राष्ट्र की रक्षा आतंकवाद की समाप्ति, राष्ट्र रक्षा और देश हित मे किया गया है।
महाकुंभ में एक बाबा हैं जो बेहद लोकप्रिय हैं। उनका नाम है मौनी बाबा। वे शरीर पर 33 हजार रुद्राक्ष धारण किए हुए हैं। इन रुद्राक्षों का वजन क़रीब 40 किलो है। इस बार मौनी बाबा 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष लेकर आए हैं। वे इन 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष से 12 ज्योतिर्लिंगों के प्रतीक बनाएंगे। बाबा बताते हैं कि 1989 से 14 साल तक वे मौन रहे। इसके बाद बोलना शुरू किया लेकिन नाम मौनी बाबा पड़ गया।
मौनी बाबा ने रुद्राक्ष से द्वादस ज्योतिर्लिंगों के निर्माण का संकल्प लिया था। उनकी माने तो अयोध्या की तरह काशी और मथुरा में मंदिर के निर्माण के संकल्प के साथ उन्होंने अपनी 10,000 गांवों की यात्रा शुरू की थी। इसके अलावा बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार को रोकने के लिए, आतंकवाद को समाप्त करने, कन्या भ्रूण हत्या बंद करने, सेना की रक्षा पद्वति को और मजबूत करने के संकल्प के साथ उन्होंने 10 हजार गांवों की परिक्रमा पूरी करने के बाद प्रयागराज पहुंचे। यहां आने के उपरांत उन्होंने द्वादश ज्योतिर्लिंग का निर्माण पूर्ण किया है।
प्रयागराज का द्वादश ज्योतिर्लिंग या नक्षत्र वाटिका शिव भक्त और पर्यटकों के लिए बेहद खास है। इस पार्क में सिर्फ 12 ज्योतिर्लिंग ही नहीं, बल्कि सभी 27 नक्षत्रों के बारे में भी विस्तार से भक्त जान पाएंगे। वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि इस पार्क ग्रहों के बारे में भी भक्तों को जानकारी दी जाएगी। द्वादश ज्योतिर्लिंग, इसलिए भी विशिष्ट है क्योंकि 12 ज्योतिर्लिंगों का निर्माण भारत के नक्शे के बीच हो रहा है। कहा जा रहा है कि मंदिरों का निर्माण ठीक उसी तरीके से किया गया है, जिस तरह वास्तव में मंदिर दिखाई देते हैं।
ओ मैया तेरी रहमतों ने,
ये करिश्मा किया,
ना मांगू मैं हीरे मोती,
ना मांगू मैं सोना चांदी,
ओ मेरे गोपाल कन्हैया,
मोहन मुरली वाले,
ओ पवन पुत्र हनुमान राम के,
परम भक्त कहलाए,