लगन लागी तोसे मोरी मैय्या,
मिलन की लगन तोसे लागी मां।
हां, हां, हां...
(लगन लागी तोसे मोरी मैय्या,
मिलन की लगन तोसे लागी मां।)
आओ आओ अम्बे मां आओ जगदम्बे मां।
दर्शन दे दो तुमरे द्वार खड़ी रे।
आओ आओ अम्बे मां आओ जगदम्बे मां।
दर्शन दे दो तुमरे द्वार खड़ी रे।
(लगन लागी तोसे मोरी मैय्या,
मिलन की लगन तोसे लागी मां।)
हो, हो, हो...
लगन लागी तोसे मोरी मैय्या,
मिलन की लगन तोसे लागी मां।
हां, हां, हां...
न मांगती हूं तुम से तो भंडार भवानी।
न चाहती हूं कोई धन अपार भवानी।
जीवन के सभी कष्ट भूल जाऊंगी अम्बे।
थोड़ा सा जो मिल जाए तेरा प्यार भवानी।
न मांगती हूं तुम से तो भंडार भवानी।
न चाहती हूं कोई धन अपार भवानी।
जीवन के सभी कष्ट भूल जाऊंगी अम्बे।
थोड़ा सा जो मिल जाए तेरा प्यार भवानी।
आओ आओ अम्बे मां आओ जगदम्बे मां।
दर्शन दे दो तुमरे द्वार खड़ी रे।
आओ आओ अम्बे मां आओ जगदम्बे मां।
दर्शन दे दो तुमरे द्वार खड़ी रे।
(लगन लागी तोसे मोरी मैय्या,
मिलन की लगन तोसे लागी मां।)
हो, हो, हो...
लगन लागी तोसे मोरी मैय्या,
मिलन की लगन तोसे लागी मां।
हां, हां, हां...
जो द्वार तेरे आया वो खुशहाल हो गया।
भक्ति जिसे मिली वो मालामाल हो गया।
जन्मों जनम के पाप से मिलती उसे मुक्ति।
दर्शन जिसे मिला है वो निहाल हो गया।
जो द्वार तेरे आया वो खुशहाल हो गया।
भक्ति जिसे मिली वो मालामाल हो गया।
जन्मों जनम के पाप से मिलती उसे मुक्ति।
दर्शन जिसे मिला है वो निहाल हो गया।
आओ आओ अम्बे मां आओ जगदम्बे मां।
दर्शन दे दो तुमरे द्वार खड़ी रे।
आओ आओ अम्बे मां आओ जगदम्बे मां।
दर्शन दे दो तुमरे द्वार खड़ी रे।
(लगन लागी तोसे मोरी मैय्या,
मिलन की लगन तोसे लागी मां।)
हो, हो, हो...
लगन लागी तोसे मोरी मैय्या,
मिलन की लगन तोसे लागी मां।
हां, हां, हां...
सारे जगत में माता तेरी शान बड़ी है।
नाम बड़ा तेरा तेरी आन बड़ी है।
जिसके लिए तो देवता तरसे हैं निरंजन।
हे मां ममता की पहचान बड़ी है।
सारे जगत में माता तेरी शान बड़ी है।
नाम बड़ा तेरा तेरी आन बड़ी है।
जिसके लिए तो देवता तरसे हैं निरंजन।
हे मां ममता की पहचान बड़ी है।
आओ आओ अम्बे मां आओ जगदम्बे मां।
दर्शन दे दो तुमरे द्वार खड़ी रे।
आओ आओ अम्बे मां आओ जगदम्बे मां।
दर्शन दे दो तुमरे द्वार खड़ी रे।
(लगन लागी तोसे मोरी मैय्या,
मिलन की लगन तोसे लागी मां।)
हो, हो, हो...
लगन लागी तोसे मोरी मैय्या,
मिलन की लगन तोसे लागी मां।
आओ आओ अम्बे मां आओ जगदम्बे मां।
दर्शन दे दो तुमरे द्वार खड़ी रे।
आओ आओ अम्बे मां आओ जगदम्बे मां।
दर्शन दे दो तुमरे द्वार खड़ी रे।
(लगन लागी तोसे मोरी मैय्या,
मिलन की लगन तोसे लागी मां।)
हो, हो, हो...
(लगन लागी तोसे मोरी मैय्या,
मिलन की लगन तोसे लागी मां।)
हो, हो, हो...
(लगन लागी तोसे मोरी मैय्या,
मिलन की लगन तोसे लागी मां।)
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति को सूर्यदेव की उपासना और शनिदोष से मुक्ति के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर आते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, साल में 12 संक्रांतियां होती हैं।
हिंदू धर्म में माघ माह का विशेष महत्व है। इस साल 14 जनवरी से माघ माह शुरू हो रहा है। माघ माह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के पहले दिन से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक चलता है।
2025 में, मकर संक्रांति विशिष्ट योग में 14 जनवरी को मनाई जाएगी। 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 41 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। ऐसे में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक स्नान-ध्यान और दान का शुभ मुहूर्त रहेगा।
आत्मा के कारक सूर्य देव हर महीने एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण करते हैं। सूर्य देव के इस राशि परिवर्तन को ही संक्रांति कहते हैं। हर संक्रांति का अपना खास महत्व होता है और इसे धूमधाम से मनाया जाता है।