मेरे नैनों की प्यास बुझा दे
माँ, तू मुझे दर्शन दे (माँ, तू मुझे दर्शन दे)
अपने चरणों का दास बना ले
माँ, तू मुझे दर्शन दे (माँ, तू मुझे दर्शन दे)
शेर पे सवार मेरी शेराँ वाली माँ
पहाड़ों में बसी मेरी मेहरा वाली माँ
रूप हैं तेरे कई, ज्योता वाली माँ
नाम हैं तेरे कई, लाटा वाली माँ
जग जननी है मेरी भोली-भाली माँ, हो
(जग जननी है मेरी भोली-भाली माँ)
(जग जननी है मेरी भोली-भाली माँ)
दयालु तू है, माँ, क्षमा कर देती है
सभी के कष्टों को, माँ, तू हर लेती है
जयकारा शेराँ वाली दा (बोल, "साँचे दरबार की जय")
तू ही जग जननी है, तू ही जग पालक है
चराचर की, मैया, तू ही संचालक है
(तू ही संचालक है, तू ही संचालक है)
अपनी ज्योत में मुझको समा ले
माँ, तू मुझे दर्शन दे (माँ, तू मुझे दर्शन दे)
मेरे नैनों की प्यास बुझा दे
माँ, तू मुझे दर्शन दे (माँ, तू मुझे दर्शन दे)
दूर अब तुझसे, माँ, मैं ना रह पाऊँगा
प्यास तेरे दर्शन की, माँ, अब ना सह पाऊँगा
जयकारा शेराँ वाली दा (बोल, "साँचे दरबार की जय")
आसरा एक तेरा, बाक़ी सब सपना है
तेरे बिन, हे मैया, कोई ना अपना है
(कोई ना अपना है, कोई ना अपना है)
मेरे पैरों में पड़ गए छाले
अब तो मुझे दर्शन दे (माँ, तू मुझे दर्शन दे)
मेरे नैनों की प्यास बुझा दे
माँ, तू मुझे दर्शन दे (माँ, तू मुझे दर्शन दे)
अपने चरणों का दास बना ले
माँ, तू मुझे दर्शन दे (माँ, तू मुझे दर्शन दे)
(माँ, तू मुझे दर्शन दे)
शेर पे सवार मेरी शेराँ वाली माँ
पहाड़ों में बसी मेरी मेहरा वाली माँ
रूप हैं तेरे कई, ज्योता वाली माँ
नाम हैं तेरे कई, लाटा वाली माँ
जग जननी है मेरी भोली-भाली माँ, हो
जय माँ
(नाम हैं तेरे कई, लाटा वाली माँ) हो, माँ
(जग जननी है मेरी भोली-भाली माँ)
(जग जननी है मेरी भोली-भाली माँ) शेराँ वाली माँ
(जग जननी है मेरी भोली-भाली माँ) मेहरा वाली माँ
सनातन धर्म की परंपराओं के अनुसार, कुंभ मेले में पवित्र नदी में स्नान करना और पूजा-अर्चना करना महत्वपूर्ण माना जाता है। महाकुंभ के अवसर पर देश-विदेश से श्रद्धालु पवित्र नदी में स्नान करने के लिए आते हैं।
फरवरी साल का दूसरा और सबसे छोटा महीना है। इसमें 28 दिन होते हैं, लेकिन लीप वर्ष में यह 29 दिन का होता है। यह महीना कई संस्कृतियों में विभिन्न कारणों से महत्वपूर्ण होता है। फरवरी सर्दी के मौसम के अंत और वसंत के आगमन का संकेत देता है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ महीना साल का ग्यारहवां महीना है। यह महीना धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत खास होता है। हिंदू धर्म में इस महीने को बहुत शुभ माना जाता है। इस दौरान लोग भगवान विष्णु और सूर्यदेव की पूजा करते हैं।
महाकुंभ 2025 का 13 जनवरी से शुभारंभ हो रहा है। प्रयागराज में इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। नागा साधुओं के अखाड़े धीरे-धीरे संगम क्षेत्र में पहुंचने लगे हैं, जबकि श्रद्धालुओं का आगमन भी शुरू हो चुका है।