मेरे नैनों की प्यास बुझा दे
माँ, तू मुझे दर्शन दे (माँ, तू मुझे दर्शन दे)
अपने चरणों का दास बना ले
माँ, तू मुझे दर्शन दे (माँ, तू मुझे दर्शन दे)
शेर पे सवार मेरी शेराँ वाली माँ
पहाड़ों में बसी मेरी मेहरा वाली माँ
रूप हैं तेरे कई, ज्योता वाली माँ
नाम हैं तेरे कई, लाटा वाली माँ
जग जननी है मेरी भोली-भाली माँ, हो
(जग जननी है मेरी भोली-भाली माँ)
(जग जननी है मेरी भोली-भाली माँ)
दयालु तू है, माँ, क्षमा कर देती है
सभी के कष्टों को, माँ, तू हर लेती है
जयकारा शेराँ वाली दा (बोल, "साँचे दरबार की जय")
तू ही जग जननी है, तू ही जग पालक है
चराचर की, मैया, तू ही संचालक है
(तू ही संचालक है, तू ही संचालक है)
अपनी ज्योत में मुझको समा ले
माँ, तू मुझे दर्शन दे (माँ, तू मुझे दर्शन दे)
मेरे नैनों की प्यास बुझा दे
माँ, तू मुझे दर्शन दे (माँ, तू मुझे दर्शन दे)
दूर अब तुझसे, माँ, मैं ना रह पाऊँगा
प्यास तेरे दर्शन की, माँ, अब ना सह पाऊँगा
जयकारा शेराँ वाली दा (बोल, "साँचे दरबार की जय")
आसरा एक तेरा, बाक़ी सब सपना है
तेरे बिन, हे मैया, कोई ना अपना है
(कोई ना अपना है, कोई ना अपना है)
मेरे पैरों में पड़ गए छाले
अब तो मुझे दर्शन दे (माँ, तू मुझे दर्शन दे)
मेरे नैनों की प्यास बुझा दे
माँ, तू मुझे दर्शन दे (माँ, तू मुझे दर्शन दे)
अपने चरणों का दास बना ले
माँ, तू मुझे दर्शन दे (माँ, तू मुझे दर्शन दे)
(माँ, तू मुझे दर्शन दे)
शेर पे सवार मेरी शेराँ वाली माँ
पहाड़ों में बसी मेरी मेहरा वाली माँ
रूप हैं तेरे कई, ज्योता वाली माँ
नाम हैं तेरे कई, लाटा वाली माँ
जग जननी है मेरी भोली-भाली माँ, हो
जय माँ
(नाम हैं तेरे कई, लाटा वाली माँ) हो, माँ
(जग जननी है मेरी भोली-भाली माँ)
(जग जननी है मेरी भोली-भाली माँ) शेराँ वाली माँ
(जग जननी है मेरी भोली-भाली माँ) मेहरा वाली माँ
राम नवमी हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो विशेष रूप से भगवान श्री राम की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
हिन्दू धर्म का रामायण और रामचरितमानस दो प्रमुख ग्रंथ है। आपको बता दें कि आदिकवि वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना की है तो वहीं तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की है।
हिन्दू धर्म में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला राम नवमी पर्व एक प्रमुख त्योहार है। इस त्योहार को हिन्दू धर्म के लोग प्रभु श्रीराम की जयंती के रूप में मनाते हैं।
राम नवमी का त्योहार सनातन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार विशेष रूप से भगवान श्री राम की जयंती के रूप में मनाया जाता है।य ह त्योहार प्रत्येक वर्ष चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है।