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शारदीय नवरात्रि 2025 वास्तु नियम

शारदीय नवरात्रि 2025 वास्तु नियम

Shardiya Navratri 2025 Vastu Upay: शारदीय नवरात्रि में इन 6 वास्तु नियमों का करें पालन, वरना पूजा रहेगी अधूरी

इस वर्ष की शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर, सोमवार से शुरू हो रही है। नवरात्रि देवी की पूजा के लिए सबसे शुभ समय होता है और इसे सनातन धर्म के दिव्य समय में से एक माना जाता है।

वास्तुशास्त्र में देवी के मूर्ति की स्थिति और पूजास्थल का सही चयन पूजा के प्रभाव को गहरा करता है। इसलिए अगर इन वास्तु नियमों का पालन न किया जाए तो पूजा का फल अधूरा रह जाता है। 

इस दिशा में स्थापित करें देवी दुर्गा की प्रतिमा 

देवी दुर्गा की मूर्ति को उत्तर की ओर मुख करके रखना चाहिए और देवी दुर्गा की पूजा करते समय उपासक को पूर्व दिशा की ओर मुख करना चाहिए। इससे पूजा करते समय उपासक और देवी दुर्गा की मूर्ति के बीच सकारात्मकता बनी रहती है।

देवी की प्रतिमा रखें सबसे ऊपर 

देवी दुर्गा की प्रतिमा सबसे ऊपर रखनी चाहिए। इसे सीधे जमीन पर रखने से वास्तु दोष हो सकते हैं, जो पूजा के लिए अशुभ माने जाते हैं। 

पूजा पंडाल के आसपास रखें सफाई

पूजा मंडप को नियमित रूप से साफ करें और इसे हर समय व्यवस्थित रखें। मूर्ति के आस-पास के स्थान का उपयोग सजावट और पूजा के लिए किया जाना चाहिए, जैसे धूप, अगरबत्ती आदि, ताकि वातावरण स्वच्छ रहे। वास्तु नियमों में अस्वच्छ पूजा मंडप को अशुभ माना जाता है।

भूल कर भी न करें देवी दुर्गा की खंडित प्रतिमा की पूजा

अगर देवी दुर्गा की मूर्ति या फोटो से पूजा कर रहे हैं, तो यह ज़रूर सुनिश्चित करें कि वह किसी भी तरफ से टूटा या फटा हुआ न हो। इसके अलावा हथेली के आकार से बड़ी मूर्ति भी लाएं, क्योंकि इसे धार्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है।

इन जगहों पर न रखें देवी दुर्गा की मूर्ति 

वास्तु शास्त्र में कुछ स्थानों को अशुभ माना जाता है और उन स्थानों पर कभी भी पूजा नहीं करनी चाहिए। इसलिए देवी दुर्गा की मूर्ति को बाथरूम, रसोईघर या सीढ़ियों के नीचे न रखें।

पूजा स्थल को रोशन करने के लिए करें अच्छे दीपों का प्रयोग 

पूजा करते समय दीया की रोशनी अच्छी होनी चाहिए। मंद रोशनी या कम गुणवत्ता वाली दीया बाती से बचें क्योंकि यह बुरी आभा पैदा करती है। 

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