शारदीय नवरात्रि पर 52 शक्तिपीठों के करें दर्शन, देखें राज्यों के हिसाब से लिस्ट, नवरात्रि में दर्शन की खास मान्यता
नवरात्रि का पर्व देवी शक्ति की साधना और आराधना का महापर्व है। मान्यता है कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा की उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। खासतौर पर शक्तिपीठों का दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु ने माता सती के शरीर के टुकड़े अलग-अलग स्थानों पर गिराए थे और जहां-जहां उनके अंग या आभूषण गिरे, वहां शक्तिपीठ बने। शास्त्रों में कुल 51 शक्तिपीठ बताए गए हैं, जबकि तंत्र चूड़ामणि ग्रंथ में इनकी संख्या 52 कही गई है।
तो आइए नवरात्रि के अवसर पर जानते हैं भारत समेत पड़ोसी देशों में स्थित देवी मां के 52 शक्तिपीठों की राज्यवार लिस्ट।
उत्तर प्रदेश
- मणिकर्णिका घाट, वाराणसी – यहां माता के मणिकर्णिका (कान के झुमके) गिरे थे।
- ललिता देवी शक्तिपीठ, प्रयागराज – माता की अंगुली गिरी थी।
- रामगिरि शक्तिपीठ, चित्रकूट – माता का दायां स्तन गिरा था।
- कात्यायनी शक्तिपीठ, वृंदावन – यहां माता के बाल और चूड़ामणि गिरे थे।
मध्य प्रदेश
- हरसिद्धि देवी, उज्जैन – यहां माता की कोहनी गिरी थी।
- शोणदेव नर्मता, अमरकंटक – यहां माता का नितंब गिरा था।
हिमाचल प्रदेश
- नैना देवी मंदिर, बिलासपुर – यहां माता की आंख गिरी थी।
- ज्वाला जी मंदिर, कांगड़ा – यहां माता की जीभ गिरी थी।
राजस्थान
- मणिबंध शक्तिपीठ, पुष्कर (अजमेर) – माता की पहुंचियां गिरी थीं।
- बिराट शक्तिपीठ – माता की बाईं पैर की उंगलियां गिरी थीं।
गुजरात
- अंबाजी शक्तिपीठ – माता का हृदय गिरा था।
- चंद्रभागा शक्तिपीठ, जूनागढ़ – माता का आमाशय गिरा था।
पश्चिम बंगाल
- कपालिनी, तामलुक – माता की बायीं एड़ी गिरी थी।
- रत्नावली, हुगली – माता का दायां कंधा गिरा था।
- किरीटकोण, मुर्शिदाबाद – माता का मुकुट गिरा था।
- सालबाड़ी, जलपाइगुड़ी – माता का बायां पैर गिरा था।
- बहुला, वर्धमान – माता का बायां हाथ गिरा था।
- मंगल चंडिका, उज्जयिनी – माता की दायीं कलाई गिरी थी।
- वक्रेश्वर – माता का भ्रूमध्य गिरा था।
- नलहाटी, बीरभूम – माता के पैर की हड्डी गिरी थी।
- अट्टहास – माता के होंठ गिरे थे।
- नंदीपुर – माता का हार गिरा था।
- क्षीरग्राम – माता के हाथ का अंगूठा गिरा था।
- कालीघाट, कोलकाता – माता की अंगूठी गिरी थी।
- कांची – माता की अस्थि गिरी थी।
तमिलनाडु
- शुचि शक्तिपीठ, कन्याकुमारी – माता की ऊपरी दाढ़ गिरी थी।
- भद्रकाली शक्तिपीठ – माता की पीठ गिरी थी।
आंध्र प्रदेश
- सर्वशैल रामहेंद्री – माता के गाल गिरे थे।
- श्रीशैलम – माता की पायल गिरी थी।
इन राज्यों में एक-एक शक्तिपीठ
- कर्नाटक- जयदुर्गा शक्तिपीठ – माता के दोनों कान गिरे थे।
- असम- कामाख्या शक्तिपीठ, गुवाहाटी – माता की योनि गिरी थी।
- ओडिशा - जगन्नाथ मंदिर परिसर, पुरी – माता की नाभि गिरी थी (विमला देवी)।
- महाराष्ट्र- जनस्थान (भ्रामरी देवी) – यहां माता की ठोड़ी गिरी थी।
- त्रिपुरा- माताबाढ़ी (त्रिपुरसुंदरी) – माता का दायां पैर गिरा था।
- पंजाब- त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ, जालंधर – माता का बायां स्तन गिरा था।
- जम्मू-कश्मीर- पहलगांव शक्तिपीठ, अमरनाथ – यहां माता का गला गिरा था।
- हरियाणा - सावित्री शक्तिपीठ, कुरुक्षेत्र – माता के पैर की एड़ी और दायां टखना गिरे थे।
भारत से बाहर स्थित शक्तिपीठ
बांग्लादेश
- चंद्रनाथ पर्वत, चिटगांव – माता की दायीं भुजा गिरी थी।
- शिकारपुर – माता की नासिका गिरी थी।
- जयंतिया परगना – माता की बाईं जांघ गिरी थी।
- सिलहट – माता का गला गिरा था।
- यशोर – माता की हथेली गिरी थी।
नेपाल
- गुह्येश्वरी, काठमांडू – माता के दोनों घुटने गिरे थे।
- आद्या शक्तिपीठ, गंडक नदी किनारे – माता का गाल गिरा था।
- बिजयपुर – माता के दांत गिरे थे।
तिब्बत
- मानसरोवर क्षेत्र – माता की दायीं हथेली गिरी थी।
- मिथिला (भारत-नेपाल सीमा)
- मिथिला शक्तिपीठ – माता का बायां कंधा गिरा था।
पाकिस्तान
- हिंगलाज (बलूचिस्तान) – माता का सिर गिरा था।
नवरात्रि में शक्तिपीठों के दर्शन का महत्व
नवरात्रि का पर्व देवी शक्ति की उपासना का सर्वोत्तम समय माना जाता है और इस दौरान शक्तिपीठों के दर्शन का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि जहां-जहां माता सती के अंग या आभूषण गिरे थे, वहीं शक्तिपीठ स्थापित हुए और वे स्थान देवी के साक्षात स्वरूप के समान पूजनीय हैं। नवरात्रि में इन पीठों पर दर्शन-पूजन करने से देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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