Sawan 2025: सावन का महीना आते ही हर शिव भक्त में एक अलग ही भक्ति की लहर दौड़ जाती है। पूरे महीने भगवान शिव की पूजा, व्रत और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। खासकर सोमवार के दिन, जिसे 'सावन सोमवार' कहा जाता है, लाखों श्रद्धालु शिवलिंग पर जल अर्पित कर व्रत रखते हैं। यह परंपरा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी मानी जाती है। वहीं, शिवभक्तों के लिए सावन सोमवार का व्रत अत्यंत पुण्यदायक माना गया है, लेकिन इसके पीछे की मान्यता को क्या आप जानते हैं? तो चलिए जानते हैं इसका संपूर्ण महत्व।
सावन का महीना भगवान शिव की कृपा पाने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवी सती ने अपने पूर्व जन्म में शिव को पति रूप में पाने की इच्छा रखी थी। जब उन्होंने पार्वती रूप में जन्म लिया, तो सावन के महीने में कठोर तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और उनसे विवाह किया। यही कारण है कि सावन को शिव और पार्वती के मिलन का पवित्र महीना माना जाता है।
कहा जाता है कि अगर कोई कन्या मन, वचन और कर्म से सावन में सोमवार का व्रत करती है, तो उसे मनचाहा वर मिलता है। इसलिए इस महीने में कई कन्याएं शिवजी का व्रत करती हैं और विवाह की कामना करती हैं।
एक अन्य मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन सावन के महीने में हुआ था और उससे निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया था। इस वजह से उन्हें 'नीलकंठ' कहा गया। इस घटना को याद करते हुए सावन सोमवार को विशेष पूजा का विधान है। शिव को शांत और ठंडक देने के लिए दूध, जल, बेलपत्र और सफेद फूल चढ़ाए जाते हैं।
शिवजी को सादगी और सफेदी पसंद है। सफेद फूल जैसे कनेर, चमेली, श्वेत कमल आदि उन्हें अर्पित करने से वह जल्दी प्रसन्न होते हैं। सावन सोमवार को जल या दूध चढ़ाते समय उसमें सफेद फूल डालने से पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।
सावन का समय वर्षा ऋतु का होता है, जब वातावरण में नमी और पाचन तंत्र की कमजोरी देखने को मिलती है। ऐसे समय में हल्का और सात्विक भोजन करना स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। व्रत रखने से शरीर को आराम मिलता है और पाचन में सुधार होता है। इसीलिए कई लोग इस महीने मांसाहार त्यागकर केवल शाकाहारी और फलाहारी भोजन करते हैं।
नारद पुराण के अनुसार, श्रावण मास के प्रथम सोमवार से लेकर कार्तिक अमावस्या तक भगवान शिव की विशेष आराधना 'रोटक व्रत' के रूप में की जाती है। इसमें भगवान को सोमेश्वर रूप में पूजा जाता है। यह व्रत अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों को देने वाला होता है। इससे मानसिक शांति मिलती है और जीवन में आने वाले संकट दूर होते हैं।
शास्त्रों में कहा गया है कि सावन के महीने में किया गया दान और पुण्य, किसी ज्योतिर्लिंग के दर्शन के समान फल देता है। ऐसे में इस माह में गरीबों को अन्न, वस्त्र या जल दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है।
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