हिंदू धर्म में भगवान शिव को संहार और कल्याण का देवता माना जाता है। उनके भक्तों के लिए सावन मास बेहद पवित्र और शुभ होता है। मान्यता है कि इस महीने शिवजी धरती पर निवास करते हैं और भक्तों की पूजा जल्दी स्वीकार करते हैं। खास तौर पर सावन के सोमवार को शिव भक्ति के लिए सबसे खास दिन माना जाता है। साल 2025 में सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ेगा। इस दिन देशभर में शिव मंदिरों में विशेष पूजन और जलाभिषेक होगा।
प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर पूजा स्थल की सफाई कर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें। शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें। पंचामृत में दूध, दही, शहद, शक्कर और घी मिलाया जाता है। फिर गंगाजल से स्नान कराएं। अभिषेक करते समय 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप करें।
बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमीपत्र, सफेद चंदन, फल, मिठाई, धूप-दीप आदि। पूजा के बाद शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र और रुद्राष्टक का पाठ करें।
समुद्र मंथन के समय निकले विष को पीकर भगवान शिव ने संपूर्ण सृष्टि की रक्षा की थी। इस घटना के कारण उन्हें नीलकंठ कहा गया और यह घटना सावन में हुई थी। इसी तरह माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए सावन में कठोर तप किया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अपनी पत्नी स्वीकार किया। इसी कारण कुंवारी कन्याएं इस दिन अच्छे वर की कामना से व्रत रखती हैं।
व्रत में फल, दूध, दही, मखाना, सूखे मेवे, साबूदाना से बनी चीजें खानी चाहिए। गेहूं, चावल, रोटी, प्याज, लहसुन, मांसाहार और सामान्य नमक से परहेज करें। केवल सेंधा नमक ही व्रत में मान्य होता है।
सावन का यह पहला सोमवार भगवान शिव की विशेष कृपा पाने का अवसर है। इस दिन पूरी श्रद्धा से की गई भक्ति जीवन को सुख, स्वास्थ्य और शांति से भर देती है।
कथा राम जी की है कल्याणकारी,
मगर ये करेगी असर धीरे धीरे,
कावड़ उठाले ध्यान,
शिव का लगाले ॥
कावड़िया ले चल गंग की धार ॥
लल्ला की सुन के मै आयी,
यशोदा मैया देदो बधाई,