सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए सबसे पवित्र और शुभ माना जाता है। इस साल 11 जुलाई 2025 से सावन की शुरुआत हो रही है और यह 9 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान श्रद्धालु भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं, जलाभिषेक करते हैं और उनकी प्रिय वस्तुएं जैसे बेलपत्र, भांग और धतूरा चढ़ाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये चीजें शिवलिंग पर क्यों चढ़ाई जाती हैं? ऐसे में आइए जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा...
शिवपुराण के अनुसार, एक बार देवताओं और असुरों ने अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन करने का निर्णय लिया। जब मंथन शुरू हुआ, तो उसमें से कई चीजें निकलीं जिन्हें दोनों पक्षों ने आपस में बांट लिया। लेकिन एक समय ऐसा आया जब समुद्र से बेहद जहरीला विष निकला। यह विष इतना घातक था कि इससे पूरी सृष्टि का विनाश संभव था। देवता और असुर दोनों ही इससे डर गए और कोई भी इसे स्वीकारने को तैयार नहीं था।
जब इस विष के कारण संकट गहराने लगा, तो सभी देवता भगवान शिव की शरण में गए। भगवान शिव ने बिना कोई देर किए सृष्टि की रक्षा के लिए वह विष स्वयं पी लिया। उन्होंने उसे गले में धारण किया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और तभी से उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा। लेकिन विष पीने के बाद उनके शरीर में तीव्र जलन और गर्मी फैल गई, जिससे वह अचेत हो गए।
भगवान शिव की इस स्थिति को देखकर सभी देवता चिंतित हो गए। तब उन्होंने उनके शरीर की गर्मी को शांत करने के लिए भांग और धतूरा उनके मस्तक पर रखा। पौराणिक मान्यता है कि भांग और धतूरा में शीतलता होती है, जिससे विष का प्रभाव कम हो गया और भोलेनाथ को राहत मिली। तभी से शिव पूजा में भांग और धतूरा का विशेष महत्व माना गया।
बेलपत्र भी भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। मान्यता है कि इसमें विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा होती है और यह भगवान शिव के क्रोध को शांत करता है। साथ ही, बेलपत्र को तीन पत्तियों वाला त्रिपत्र माना जाता है, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक हैं। इसलिए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।
सावन का महीना भगवान शिव की कृपा पाने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। इस दौरान हर सोमवार को जलाभिषेक के साथ-साथ भांग, धतूरा और बेलपत्र अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। माना जाता है कि सावन में सच्चे मन से की गई शिव पूजा से सभी प्रकार के रोग, दोष और संकट दूर हो जाते हैं।
हिंदू धर्म में सकट चौथ का व्रत काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान गणेश और सकट माता की पूजा-अर्चना की जाती है।
सनातन हिंदू धर्म में माघ महीने को अत्यंत पवित्र सौभाग्यशाली और भाग्य वर्धक माना जाता है। इस पवित्र महीने में धार्मिक कार्य, व्रत, दान एवं पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है।
माघ माह की शुरुआत मकर संक्रांति के दिन से होती है। इस महीने पड़ने वाली कालाष्टमी पर्व का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। इस दिन भगवान शिव के उग्र रूप, काल भैरव की पूजा होती है।
सकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ व्रत कथा का पाठ करना भी अनिवार्य माना जाता है। ऐसा करने से व्रतधारी को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके जीवन से सभी संकट दूर हो जाते हैं।