सावन मास के प्रत्येक मंगलवार को रखा जाने वाला मंगला गौरी व्रत विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह व्रत देवी पार्वती के गौरी स्वरूप को समर्पित होता है, जो स्त्री जीवन में अखंड सौभाग्य, सुख-शांति और दांपत्य प्रेम की प्रतीक मानी जाती हैं। व्रत की पूजा के अंत में देवी की आरती करना अनिवार्य माना जाता है। मंगला गौरी व्रत की आरती न केवल पूजा को पूर्णता प्रदान करती है, बल्कि इसमें देवी की महिमा, शक्तिशाली रूपों और उनके कृपालु स्वभाव का सुंदर वर्णन किया गया है।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता
ब्रह्मा सनातन देवी, शुभ फल दाता, जय मंगला गौरी माता।
अरि कुल पद्मा विनाशिनी, जय सेवक त्राता
जग जीवन जगदम्बा, हरिहर गुण गाता, जय मंगला गौरी माता।
सिंह को वाहन साजे, कुंडल है साता
देव वधु जहां गावत, नृत्य करता था, जय मंगला गौरी माता।
सतयुग शील सुसुन्दर, नाम सटी कहलाता
हेमांचल घर जन्मी, सखियन रंगराता, जय मंगला गौरी माता।
शुम्भ निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्याता
सहस भुजा तनु धरिके, चक्र लियो हाता, जय मंगला गौरी माता।
सृष्टी रूप तुही जननी, शिव संग रंगराता
नंदी भृंगी बीन लाही, सारा मद माता, जय मंगला गौरी माता।
देवन अरज करत, हम चित को लाता
गावत दे दे ताली, मन में रंगराता, जय मंगला गौरी माता।
मंगला गौरी माता की आरती, जो कोई गाता
सदा सुख संपति पाता, जय मंगला गौरी माता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।
हिंदू धर्म में किसी भी पूजा या व्रत का समापन आरती के बिना अधूरा माना जाता है। आरती के माध्यम से भक्त अपने भाव और श्रद्धा को देवी के चरणों में समर्पित करता है। मंगला गौरी माता की आरती विशेष रूप से इस बात का स्मरण कराती है कि कैसे देवी ने अपने भक्तों की रक्षा की, राक्षसों का संहार किया और संसार में धर्म की स्थापना की।
नवरात्रि में सभी सिद्धियों का दाता है मैय्या का सिद्धिदात्री स्वरुप, स्वयं शिव ने भी प्राप्त की हैं मैय्या से शक्तियां
जगत जननी मां दुर्गा की आराधना के पावन पर्व नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा करने का विधान है। यह मैया के सबसे सुंदर स्वरूपों में से एक है। आदिशक्ति मां भवानी दुर्गा का अष्टम रूप बड़ा ही मनमोहक और मनभावन है। महागौरी मैय्या अपने अन्य रूपों की तुलना में बहुत अधिक गोरे वर्ण वाली है। तो भक्त वत्सल की नवरात्रि विशेषांक के दसवें लेख में जानिए मां के आठवें स्वरूप महागौरी के बारे में विस्तार से…….
माता के भक्तों के लिए नवरात्रि सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। इन नौ दिनों में देश ही नहीं दुनिया भर में मैय्या रानी के जगराते और पूजन पाठ किए जाते हैं। मैय्या हर दिन एक अलग रूप में भक्तों को दर्शन देती है और भक्त भी मां के उस स्वरूप की आराधना कर अपने मन की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
अगर आप पितृपक्ष के अवसर पर पिंडदान के लिए बिहार के गया आ रहे हैं और ठहरने के लिए महंगे होटलों में पैसे खर्च करने की स्थिति में नहीं हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है।