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मंगला गौरी व्रत क्यों रखा जाता है

मंगला गौरी व्रत क्यों रखा जाता है

Mangla Gauri Vrat Katha: मां पार्वती से जुड़ी है मंगला गौरी व्रत की कथा, इससे वैवाहिक जीवन में प्रेम की होगी प्राप्ति 

सावन का महीना हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह पूरा महीना भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित होता है। इसी मास के मंगलवार को रखा जाने वाला मंगला गौरी व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। यह व्रत देवी पार्वती के गौरी स्वरूप को समर्पित होता है और सुहागिन स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक प्रेम की प्राप्ति के लिए रखा जाता है।

मंगला गौरी व्रत कथा 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था। उन्होंने सावन मास के सभी मंगलवार को उपवास रखकर शिव जी की आराधना की थी। उनकी भक्ति, त्याग और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। यही कथा मंगला गौरी व्रत के मूल में है और इसी श्रद्धा से महिलाएं इस दिन देवी गौरी का पूजन करती हैं।

अखंड सौभाग्य की प्राप्ति

यह व्रत करने वाली महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सोलह श्रृंगार से माता गौरी की पूजा करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

कुंवारी कन्याओं को प्राप्त होता है योग्य वर

सिर्फ विवाहित महिलाएं ही नहीं, बल्कि कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं। माता पार्वती की कृपा से उन्हें योग्य जीवनसाथी मिलता है।

पार्वती जी की विशेष कृपा

माना जाता है कि इस व्रत को करने से माता गौरी की विशेष कृपा प्राप्त होती है जिससे वैवाहिक जीवन में प्रेम, सामंजस्य और समृद्धि बनी रहती है। 

साथ ही, सावन मास भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ समय माना गया है। इस महीने में मंगला गौरी व्रत करने से कई गुना पुण्य फल की प्राप्ति भी होती है।

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चित्रगुप्त भगवान की पूजा कैसे करें?

भगवान चित्रगुप्त हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं। उन्हें कर्मों का लेखाकार माना जाता है। वे सभी मनुष्यों के अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं और मृत्यु के बाद व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं।

षटतिला एकादशी व्रत उपाय

माघ मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करने से धन की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा में तिल का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।

षटतिला एकादशी के मंत्र

25 जनवरी 2025 को षटतिला एकादशी का व्रत है। इस दिन तिल का काफी महत्व होता है। षटतिला एकादशी के दिन तिल का छह तरीकों से प्रयोग किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में भी विशेष रूप से तिल का इस्तेमाल किया जाता है।

षटतिला एकादशी पर ना करें ये काम

षटतिला एकादशी भगवान विष्णु जी को समर्पित है। हर साल माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही षटतिला एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की आराधना करने से पापों से मुक्ति मिलती है।

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