सावन का महीना हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह पूरा महीना भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित होता है। इसी मास के मंगलवार को रखा जाने वाला मंगला गौरी व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। यह व्रत देवी पार्वती के गौरी स्वरूप को समर्पित होता है और सुहागिन स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक प्रेम की प्राप्ति के लिए रखा जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था। उन्होंने सावन मास के सभी मंगलवार को उपवास रखकर शिव जी की आराधना की थी। उनकी भक्ति, त्याग और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। यही कथा मंगला गौरी व्रत के मूल में है और इसी श्रद्धा से महिलाएं इस दिन देवी गौरी का पूजन करती हैं।
यह व्रत करने वाली महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सोलह श्रृंगार से माता गौरी की पूजा करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
सिर्फ विवाहित महिलाएं ही नहीं, बल्कि कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं। माता पार्वती की कृपा से उन्हें योग्य जीवनसाथी मिलता है।
माना जाता है कि इस व्रत को करने से माता गौरी की विशेष कृपा प्राप्त होती है जिससे वैवाहिक जीवन में प्रेम, सामंजस्य और समृद्धि बनी रहती है।
साथ ही, सावन मास भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ समय माना गया है। इस महीने में मंगला गौरी व्रत करने से कई गुना पुण्य फल की प्राप्ति भी होती है।