श्रावण मास शिव भक्ति का विशेष समय होता है, और सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। उत्तर भारत में जब सावन शुरू होता है, तो मंदिरों में जयकारों की गूंज के साथ व्रत और पूजा की श्रृंखला प्रारंभ हो जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उत्तर भारत में सावन इतना जल्दी क्यों शुरू हो जाता है? इसका कारण है यहां प्रचलित पूर्णिमांत पंचांग प्रणाली।
पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार एक हिंदू महीना पूर्णिमा (पूर्ण चंद्र) से पूर्णिमा तक माना जाता है। यानी जब पूर्णिमा आती है, उसके अगले दिन से नया महीना शुरू हो जाता है। इस प्रणाली का पालन मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड, उत्तराखण्ड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में किया जाता है।
इस साल पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार श्रावण मास की शुरुआत 11 जुलाई (शुक्रवार) से मानी जाएगी। इस आधार पर सावन सोमवार व्रत की तिथियां होंगी:
मान्यता है कि श्रावण में जल से शिवलिंग का अभिषेक करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पूर्णिमांत परंपरा के अनुसार गणना करना वैदिक विधियों से जुड़ा हुआ है और अनेक पुराणों में इसी प्रणाली का उल्लेख मिलता है।
इन राज्यों में सावन के सोमवार को शिवालयों में भव्य झांकियां सजती हैं, कांवड़ यात्रा का आयोजन होता है और जगह-जगह भजन-कीर्तन होते हैं। काशी, उज्जैन और पटना जैसे तीर्थों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।