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साल के आखिरी माह यानी दिसंबर की शुरुआत हो चुकी है, और यह माह कई पवित्र व्रत-त्योहारों से भरा है। इनमें विवाह पंचमी का विशेष महत्व है, जो भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह की स्मृति में मनाई जाती है। हिंदू धर्म में राम-सीता की जोड़ी को आदर्श दांपत्य जीवन का प्रतीक माना गया है। इस दिन उनकी पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और मधुरता आती है। इस वर्ष 6 दिसंबर 2024 को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। शुभ योगों के इस दिन कुछ खास उपाय करने से जीवन की परेशानियां दूर हो सकती हैं।
विवाह पंचमी मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व भगवान राम और माता सीता के विवाह का प्रतीक है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन उनकी पूजा और भक्ति से वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याएं समाप्त होती हैं।
इस वर्ष विवाह पंचमी पर ध्रुव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है। इन योगों को अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन योगों में किए गए उपाय तुरंत फल देते हैं और रिश्तों में सकारात्मकता भी लाते हैं।
सीता माता की आरती
आरति श्रीजनक-दुलारी की।
सीताजी रघुबर-प्यारी की।।
जगत-जननि जगकी विस्तारिणि, नित्य सत्य साकेत विहारिणि।
परम दयामयि दीनोद्धारिणि, मैया भक्तन-हितकारी की।।
आरति श्रीजनक-दुलारी की।
सतीशिरोमणि पति-हित-कारिणि, पति-सेवा-हित-वन-वन-चारिणि।
पति-हित पति-वियोग-स्वीकारिणि, त्याग-धर्म-मूरति-धारी की।।
आरति श्रीजनक-दुलारी की।।
विमल-कीर्ति सब लोकन छाई, नाम लेत पावन मति आई।
सुमिरत कटत कष्ट दुखदायी, शरणागत-जन-भय-हारी की।।
आरती श्री जनक-दुलारी की। सीता जी रघुबर-प्यारी की।
भगवान श्री राम की आरती
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
छंद
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
।।सोरठा।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
विवाह पंचमी का पर्व धार्मिक और वैवाहिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन किए गए पूजा-पाठ और उपाय ना केवल दांपत्य जीवन की परेशानियों को दूर करते हैं। बल्कि, जीवन में सुख-समृद्धि और शांति भी लाते हैं। भगवान राम और माता सीता की पूजा से उनकी कृपा प्राप्त कर, हम अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।
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