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6 July 2025 Panchang (06 जुलाई 2025 का पंचांग)

6 July 2025 Panchang (06 जुलाई 2025 का पंचांग)

Aaj Ka Panchang: आज 06 जुलाई 2025 का शुभ मुहूर्त, राहुकाल का समय, आज की तिथि और ग्रह

Aaj Ka Panchang 06 July 2025: आज 06 जुलाई 2025 को आषाढ़ माह का 26वां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी है। आज रविवार का दिन है। सूर्य देव मिथुन राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा तुला से वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। आपको बता दें, आज रविवार के दिन अभिजीत मुहूर्त 11:58 ए एम से 12:54 पी एम तक रहेगा। इस दिन राहुकाल 05:39 पी एम से 07:23 पी एम तक रहेगा। आज वार के हिसाब से आप रविवार का व्रत रख सकते हैं, जो ग्रहों के राजा सूर्य देव को समर्पित होता है। आज त्रिपुष्कर योग, रवि योग के साथ भद्रा का साया भी रहेगा। साथ ही आज से गौरी व्रत प्रारंभ हो रहे हैं और देवशयनी एकादसी भी है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है। 

आज का पंचांग 06 जुलाई 2025

  • तिथि- आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि  
  • नक्षत्र - विशाखा और अनुराधा 
  • दिन/वार- रविवार
  • योग- साध्य और शुभ
  • करण- वाणिज,विष्टि और बव  

आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि प्रारंभ- 06:58 पी एम से 

आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि समाप्त- 09:14 पी एम तक 

सूर्य-चंद्र गोचर

  • सूर्य - सूर्य देव मिथुन राशि में रहेंगे।  
  • चंद्र - चंद्रमा तुला राशि (04:01 पीएम) से वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। 

सूर्य और चंद्रमा का मुहूर्त

  • सूर्योदय- 05:29 ए एम
  • सूर्यास्त- 07:23 पी एम
  • चन्द्रोदय- 03:38 पी एम
  • चन्द्रास्त- 02:07 ए एम, जुलाई 07

आज का शुभ मुहूर्त और योग 06 जुलाई 2025

  • त्रिपुष्कर योग - 09:14 पी एम से 10:42 पी एम
  • रवि योग - 05:56 ए एम से 10:42 पी एम
  • ब्रह्म मुहूर्त - 04:08 ए एम से 04:49 ए एम
  • अभिजीत मुहूर्त - 11:58 ए एम से 12:54 पी एम 
  • अमृत काल- 12:51 पी एम से 02:38 पी एम
  • विजय मुहूर्त - 02:45 पी एम से 03:40 पी एम
  • गोधूलि मुहूर्त - 07:21 पी एम से 07:42 पी एम
  • संध्या मुहूर्त - 07:23 पी एम से 08:23 पी एम

आज का अशुभ मुहूर्त 06 जुलाई 2025

  • राहु काल - 05:39 पी एम से 07:23 पी एम
  • गुलिक काल - 03:54 पी एम से 05:39 पी एम
  • यमगण्ड - 12:26 पी एम से 02:10 पी एम 
  • दिशाशूल - पश्चिम, इस दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।
  • वर्ज्य - 06:57 पी एम से 08:36 पी एम
  • विडाल योग - 05:56 ए एम से 10:42 पी एम
  • आडल योग - नहीं है  
  • गण्ड मूल - नहीं है 
  • भद्रा - 08:08 ए एम से 09:14 पी एम

06 जुलाई 2025 पर्व/त्योहार/व्रत

  • रविवार का व्रत - आज आप रविवार का व्रत रख सकते हैं, जो ग्रहों के राजा सूर्य देव को समर्पित है। 
  • रविवार के उपाय - रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। इस दिन सूर्य देव को जल चढ़ाने, तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें लाल फूल, अक्षत और रोली डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देने से विशेष लाभ मिलता है। इसके अलावा रविवार के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने, सूर्य देव के मंत्र "ऊं सूर्याय नमः" या "ऊं घृणि सूर्याय नमः" का जप करने से भी विशेष लाभ मिलता है। रविवार के दिन गुड़ और तांबे के दान का भी विशेष महत्व है। इन उपायों को करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है।

जब रवियोग, त्रिपुष्कर योग और भद्रा एक साथ पड़ें

जब रवियोग, त्रिपुष्कर योग और भद्रा एक ही दिन एक साथ पड़ते हैं, तो वह समय ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत विशिष्ट और प्रभावशाली बन जाता है। रवियोग कार्यों में सफलता दिलाने वाला होता है, त्रिपुष्कर योग कार्यों को तीन गुना फल देने वाला, जबकि भद्रा को आमतौर पर अशुभ माना जाता है। ऐसे में दिन विशेष के कार्यों की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि भद्राकाल कब तक है। भद्रा समाप्त होने के बाद रवियोग और त्रिपुष्कर योग का संयोग अत्यंत शुभ फल देता है। इसलिए इस दिन भद्रा के खत्म होते ही नए कार्यों की शुरुआत, निवेश, खरीदारी या यात्रा करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। साथ ही, सूर्य को अर्घ्य देकर, “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करना और पीले या लाल वस्त्र में अन्न, गुड़ या तांबे का दान करना शुभ फलदायक होता है।

गौरी व्रत का महत्व और उपाय

गौरी व्रत विशेष रूप से गुजरात में आषाढ़ माह में कन्याओं द्वारा किया जाने वाला एक पवित्र व्रत है, जिसे पांच दिनों तक श्रद्धा से रखा जाता है। यह व्रत माता पार्वती (गौरी) को समर्पित होता है, जिन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। कन्याएं यह व्रत अच्छे वर की प्राप्ति, सुखी वैवाहिक जीवन और संकल्प पूर्ति के लिए करती हैं। व्रत के दौरान हर दिन देवी गौरी की पूजा कर उन्हें सुहाग की वस्तुएं अर्पित करें, शिव-पार्वती की कथा सुनें और “ॐ गौरी शंकराय नमः” मंत्र का जाप करें। व्रत के अंतिम दिन जलदान या वस्त्रदान कर व्रत का समापन करें।

देवशयनी एकादशी का महत्व और उपाय

देवशयनी एकादशी आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है और इसे हरि शयनी या पद्मा एकादशी भी कहते हैं। इस दिन से भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और चार महीने बाद देवउठनी एकादशी को जागते हैं। इस काल को "चातुर्मास" कहा जाता है, जिसमें विवाह, गृहप्रवेश जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजन करने से सहस्त्र एकादशी व्रत का फल मिलता है। इस दिन प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी और पंचामृत से पूजन करें, “ॐ नारायणाय नमः” मंत्र का जाप करें और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या पीले फल का दान करें। इससे पापों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है।

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