Aaj Ka Panchang 08 July 2025: आज 08 जुलाई 2025 को आषाढ़ माह का 28वां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष तिथि त्रयोदशी है। आज मंगलवार का दिन है। सूर्य मिथुन में रहेंगे। चंद्र देव वृश्चिक से धनु राशि प्रवेश में करेंगे। आपको बता दें, आज मंगलवार के दिन अभिजीत मुहूर्त 11:58 ए एम से 12:54 पी एम तक रहेगा। इस दिन राहुकाल 03:54 पी एम से 05:38 पी एम तक रहेगा। आज वार के हिसाब से आप मंगलवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान हनुमान जी को समर्पित होता है। आज भौम प्रदोष व्रत है और आज से ही जया पार्वती व्रत प्रारंभ हो रहे हैं। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है।
आषाढ़ शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- 11:10 पी एम से
आषाढ़ शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि समाप्त- 12:38 ए एम, जुलाई 09 तक
जया पार्वती व्रत विशेष रूप से अविवाहित कन्याओं द्वारा उत्तम वर की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। यह व्रत आषाढ़ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू होकर पांच दिनों तक मनाया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए किया था। व्रत के दौरान प्रतिदिन मिट्टी से शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाकर पूजा की जाती है। सुहाग सामग्री, अक्षत, बेलपत्र और फल अर्पित करके "ॐ नमः शिवाय" और "ॐ गौरीपतये नमः" मंत्र का जाप करें। व्रत की समाप्ति पर कथा सुनकर व्रती को व्रत का समापन कर व्रत की सामग्री किसी ब्राह्मण स्त्री को अर्पण करनी चाहिए।
भौम प्रदोष व्रत उस प्रदोष तिथि को कहा जाता है जो मंगलवार को पड़ती है, और यह भगवान शिव के साथ-साथ मंगल ग्रह की शांति के लिए भी अत्यंत फलदायक माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से कर्ज, भूमि विवाद, शत्रु बाधा और रक्त से जुड़ी बीमारियों में लाभ मिलता है। शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, दही और लाल पुष्प अर्पित करें और "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें। संध्या समय दीप जलाकर शिव आरती करें। साथ ही हनुमान जी का स्मरण और मंगल ग्रह के मंत्र "ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः" का जाप करने से विशेष फल मिलता है।
माता सती के उमा देवी अवतार और महोदर महादेव की पूजा, जानकी अष्टमी का विशेष महत्व
कामाख्या शक्तिपीठ में गिरी थी माता की योनि, मां के रजस्वला होने से लाल हो जाता है ब्रह्मपुत्र का पानी
भगवान शिव का निमिष अवतार, क्यों बंद कर दिया मंदिर में पूर्वी द्वार से प्रवेश, बाणासुर से जुड़ी है देवी अम्मन की कथा
स्थानुमलयन को समर्पित है यह शक्तिपीठ, शिव के संघरोर सम्हारा स्वरूप की होती है पूजा, इन्द्र को सिद्धी यहीं मिली