Aaj Ka Panchang 07 July 2025: आज 07 जुलाई 2025 को आषाढ़ माह का 27वां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष तिथि द्वादशी है। आज सोमवार का दिन है। सूर्य देव मिथुन राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा वृश्चिक राशि में रहेंगे। आपको बता दें, आज सोमवार के दिन अभिजीत मुहूर्त 11:58 ए एम से 12:54 पी एम तक रहेगा। इस दिन राहुकाल 07:14 ए एम से 08:58 ए एम तक रहेगा। आज वार के हिसाब से आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। देवशयनी एकदाशी का पारण और वासुदेव द्वादशी का पर्व है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है।
आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि प्रारंभ- 09:14 ए एम से
आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि समाप्त- 11:10 पी एम तक
देवशयनी एकादशी का पारण द्वादशी तिथि को ब्रह्ममुहूर्त के बाद और सूर्योदय से पहले कर लेना श्रेष्ठ माना गया है, लेकिन यदि यह संभव न हो तो सूर्योदय के बाद उचित मुहूर्त में पारण किया जा सकता है। पारण से पहले व्रती को स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए, फिर तुलसी पत्र अर्पित कर भोग लगाकर स्वयं भोजन ग्रहण करें। पारण के समय सात्विक भोजन करें और व्रत के संकल्प का विधिवत समापन करें। यदि व्रती ने निराहार व्रत रखा हो, तो पारण में फलाहार या दूध से भी शुरुआत की जा सकती है। पारण समय में विलंब करने से व्रत का पुण्य कम हो सकता है।
वासुदेव द्वादशी, देवशयनी एकादशी के अगले दिन मनाई जाती है और यह विशेष रूप से भगवान वासुदेव (श्रीशुक्ल) को समर्पित होती है। यह दिन विष्णु भक्तों के लिए अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है, विशेष रूप से जो व्रत का पारण इसी दिन करते हैं। इस दिन भगवान श्रीशुक्ल के बाल स्वरूप की पूजा करना और उन्हें दूध, दही, मक्खन व मिश्री का भोग लगाना शुभ माना जाता है। “ॐ वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करें और तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें। इस दिन गऊ, ब्राह्मण और गरीबों को भोजन या वस्त्र दान करने से विशेष पुण्य मिलता है और जीवन में सुख-शांति एवं संतुलन बना रहता है।
करूँ वंदन हे शिव नंदन,
तेरे चरणों की धूल है चन्दन,
करुणामयी किरपामयी,
मेरी दयामयी राधे ॥
सुनके भक्तो की पुकार,
होके नंदी पे सवार,
पूछे प्यारी शैलकुमारी
कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।