जब उत्तर भारत में सावन खत्म होने लगता है, तभी दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में श्रावण का आरंभ होता है। यही कारण है कि महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में सावन सोमवार व्रत की तिथियां उत्तर भारत से 2 हफ्ते पीछे होती हैं। इसकी वजह है अमावस्यांत पंचांग परंपरा।
अमावस्यांत पंचांग के अनुसार महीना अमावस्या (अंधकार रात) से अगली अमावस्या तक माना जाता है। यानी जैसे ही अमावस्या बीतती है, नया महीना शुरू हो जाता है। यह प्रणाली दक्षिण भारत और पश्चिमी भारत में मान्य है।
महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में श्रद्धालु इसी परंपरा के अनुसार सावन सोमवार व्रत करते हैं।
इस परंपरा के अनुसार श्रावण मास की शुरुआत 25 जुलाई 2025 (शुक्रवार) को मानी जाएगी और समाप्ति 23 अगस्त (शनिवार) को होगी।
सावन सोमवार व्रत की तिथियां इस प्रकार होंगी:
अमावस्यांत गणना को दक्षिण भारत में शैव और वैष्णव परंपराओं दोनों में मान्यता प्राप्त है। यहाँ यह मान्यता है कि अमावस्या के बाद चंद्रमा के शुक्ल पक्ष से ही शुभता प्रारंभ होती है।
महाराष्ट्र में सावन सोमवार को महिलाएं पारंपरिक नौवारी साड़ी पहनकर मंदिर जाती हैं। गुजरात में भूतनाथ महादेव और सोमनाथ में विशेष दर्शन होते हैं। दक्षिण भारत में भी शिवालयों में भव्य सजावट होती है।
धन जोबन और काया नगर की,
कोई मत करो रे मरोर ॥
ढँक लै यशोदा नजर लग जाएगी
कान्हा को तेरे नजर लग जाएगी ।
हिंदू धर्म में हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इसे भैरव अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यानी 2024 के नवंबर माह में ये तिथि 22 तारीख को पड़ रही है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की विधिपूर्वक पूजा की जाती है, जो तंत्र-मंत्र साधकों के लिए विशेष महत्व रखती है।