नेपाल और उत्तराखण्ड-हिमाचल के कुछ भागों में जब सावन का आगमन होता है, तो वहां के मंदिरों में घंटियों और शंखध्वनि से शिव आराधना शुरू हो जाती है। यहां सावन की तिथियां ना उत्तर भारत से मिलती हैं, ना दक्षिण भारत से। इसकी वजह है विक्रम संवत आधारित नेपाली पंचांग प्रणाली।
नेपाल में प्रचलित पंचांग विक्रम संवत पर आधारित होता है, जो पूर्णिमांत परंपरा से काफी हद तक मेल खाता है, लेकिन इसमें क्षेत्रीय और खगोलीय भिन्नताएं होने के कारण तिथियां उत्तर भारत से थोड़ा अलग हो जाती हैं।
नेपाली पंचांग के अनुसार श्रावण मास की शुरुआत 16 जुलाई 2025 (बुधवार) को होगी और समाप्ति 16 अगस्त 2025 (शनिवार) को मानी जाएगी।
यहां व्रत की तिथियां होंगी:
यह परंपरा नेपाल के अलावा उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में भी देखी जाती है, जहां स्थानीय कैलेंडर इसी गणना को मानता है।
यह प्रणाली सूर्य और चंद्र दोनों की गति के समायोजन से तैयार की जाती है। इसमें सावन को वर्षा और वनस्पति उन्नति का काल भी माना जाता है, इसलिए इसे हरियाली से भी जोड़ा जाता है।
नेपाल में सावन को विशेष रूप से महिलाओं का महीना माना जाता है। वे व्रत रखती हैं, मेहंदी लगाती हैं, लाल और हरे वस्त्र धारण करती हैं। काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर में इस समय लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
कोई लाख करे चतुरायी,
करम का लेख मिटे ना रे भाई,
कौन सी ने मार दियो री टोना
के मेरो मचले ओ श्याम सलोना
कृपा करे रघुनाथ जी,
म्हने सत देवे सीता माता,
करो हरी का भजन प्यारे,
उमरिया बीती जाती हे,