लल्ला की सुन के मै आयी यशोदा मैया देदो(Lalla Ki Sun Ke Mai Aayi Yashoda Maiya Dedo Badhai)

लल्ला की सुन के मै आयी,

यशोदा मैया देदो बधाई,

कान्हा की सुनके मै आयी,

यशोदा मैया देदो बधाई,

लाला जनम सुन आयी,

यशोदा मैया देदो बधाई ।


देदो बधाई मैया देदो बधाई,

लल्ला की सुन के मै आयी,

यशोदा मैया देदो बधाई ।


टीका भी लूँगी मैया,

बिंदियां भी लूँगी,

रेशम की लूँगी रजाई,

यशोदा मैया देदो बधाई ।


साड़ी भी लूँगी मैया,

लहँगा भी लूँगी,

धोती भी लूँगी मैया,

कुर्ता भी लूँगी,

पगडि की होगी चढ़ाई,

यशोदा मैया देदो बधाई ।


हरवा भी लूँगी मैया,

चुड़ि भी लूँगी,

कंगना पे होगी चढ़ाई,

यशोदा मैया देदो बधाई।


चन्द्र सखी भज,

बाल कृष्ण छवि,

नित नित जाऊँ बलिहारी,

यशोदा मैया देदो बधाई ।


लल्ला की सुन के मै आयी,

यशोदा मैया देदो बधाई,

कान्हा की सुनके मै आयी,

यशोदा मैया देदो बधाई,

लाला जनम सुन आयी,

यशोदा मैया देदो बधाई ।

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पुत्रदा एकादशी 2025

पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा या वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन पुत्र या संतान प्राप्ति के लिए उपाय करने से सफलता मिलती है। मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

फागण को महीनो, लिख दीन्यो बाबा जी के नाम (Fagan Ko Mahino Likh Dino Baba Ji Ke Naam)

फागण को महीनो,
लिख दीन्यो बाबा जी के नाम,

16 सोमवार व्रत कथा (16 Somavaar Vrat Katha)

एक समय श्री महादेवजी पार्वती के साथ भ्रमण करते हुए मृत्युलोक में अमरावती नगरी में आए। वहां के राजा ने शिव मंदिर बनवाया था, जो कि अत्यंत भव्य एवं रमणीक तथा मन को शांति पहुंचाने वाला था। भ्रमण करते सम शिव-पार्वती भी वहां ठहर गए।

प्रदोष व्रत क्यों रखा जाता है?

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। दरअसल, यह व्रत देवाधिदेव महादेव शिव को ही समर्पित है। प्रदोष व्रत हर माह में दो बार, शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है।

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