भारत में कई पवित्र धाम है। कहते हैं कि इन धामों में जाकर श्रद्धालुओं को अपने कष्टों में मुक्ति मिलती है। बागेश्वर धाम भी इन्हीं में से एक है। इस जगह को लेकर हजारों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है। इस धाम में हनुमान जी का मंदिर है। बागेश्वर धाम सरकार मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में मौजूद है। ये जगह हिंदुओं के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है। बालाजी का ये मंदिर छतरपुर जिले के खजुराहो-पन्ना रोड पर स्थित गंज नाम के छोटे से कस्बे से करीब 35 किमी की दूरी पर है।
बागेश्वर धाम मंदिर पुराना चमत्कारिक मंदिर है। यह मंदिर छतरपुर के पास बागेश्वर धाम में स्थित है और यह बालाजी का मंदिर है। यहां पर हनुमान जी के सामने ही महादेव जी का मंदिर है। बागेश्वर धाम मंदिर भगवान बालाजी का बहुत प्रसिद्ध मंदिर है। 20 से 30 साल पहले करीब 1986 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया था। उसके बाद मंदिर काफी प्रसिद्ध होता चला गया। साल 1987 में वहां संत लालजी महाराज का आना हुआ। ये आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दादाजी थे। उसके बाद साल 2012 में श्रद्धालुओं की समस्या का निराकरण करने के लिए दरबार का शुभारंभ हुआ। उसके बाद साल 2016 में बागेश्वर धाम में भूमि पूजन हुआ और फिर बालाजी भगवान का यह धाम समस्याओं के निराकरण के लिए प्रसिद्ध हो गया।
बालाजी महाराज की कृपा से बागेश्वर बालाजी महाराज की पेशी के लिए जिन भक्तों की अर्जी लगती है, उन्हें हर मंगलवार को बालाजी महाराज के दरबार में पेशी लगानी होती है और महाआरती में शामिल होकर अपनी पेशी पूरी करनी होती है। इस दिन ही धाम में प्रेत दरबार भी लगाया जाता है।
अन्नपूर्णा रसोई - कोई भी शख्स भूखा न रहे, इसलिए धाम में अन्नपूर्णा रसोई की शुरुआत की गई, जहां हर रोज हजारों और मंगलवार-शनिवार को तो लाखों लोगों के लिए निशुल्क भोजन प्रसाद की व्यवस्था की जाती है। खास बात तो ये है कि अन्नपूर्णा रसोई की सारी व्यवस्था धाम पर आने वाली चढ़ौती के आधे हिस्से और दान की राशि से की जाती है।
गरीब और बेसहारा कन्याओं का विवाह - आज के समय में बागेश्वर धाम की तरफ से हर साल कई गरीब कन्याओं का विवाह पूरे रीति-रिवाज से करवाया जाता है।
वैदिक गुरुकुल - बागेश्वर धाम के प्रागंण में एक वैदिक गुरुकुल की स्थापना की जा रही है, जहां बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ वेदों का भी ज्ञान दिया जाएगा।
अगर आप यहां जा रहे है तो आपको बता दें कि बागेश्वर दाम पहुंचने से दो किलोमीटर पहले ही गाड़ियों को रोक दिया जाता है। सुबह 8 बजे के पहले आप गाड़ी लेकर मंदिर के पीछे तक जा सकते हैं। लेकिन इसके बाद दो किलोमीटर पहले की पार्किंग से पर्सनल गाड़ी करके आपको पैदल या फिर टैक्सी या टेम्पो से जाना होगा।
हवाई मार्ग - अगर आप यहां हवाई मार्ग से जा रहे है तो सबसे नजदीकी हवाई अड्डा खजुराहो एयरपोर्ट है। यहां से आप बस या टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते है।
रेल मार्ग - यहां पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन खजुराहो और छतरपुर स्टेशन है। रेलवे स्टेशन से आप टैक्सी या स्थानीय बसों के द्वारा यहां पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग - सड़क मार्ग के लिए आपको छतरपुर जिला या पन्ना जिला आना होगा। फिर आप छतरपुर और पन्ना से गंज जाएं और वहां से गढ़ा गांव में 5 किमी दूर बागेश्वर धाम हैं।
बागेश्वर धाम का समय - ये मंदिर सुबह 7 बजे से लेकर रात 9 बजे तक खुलता है।
हिंदू धर्म में गाय को अत्यंत पूजनीय और पवित्र माना गया है। इसे केवल एक पशु नहीं, बल्कि मां का दर्जा दिया गया है। भारतीय समाज में गाय का स्थान इतना महत्वपूर्ण है कि इसकी पूजा की जाती है और इसे देवी का स्वरूप माना जाता है।
कुंभ का मेला आध्यात्मिकता और धार्मिक परंपराओं का जीवंत स्वरूप है। कुंभ के अवसर पर शाही स्नान का आयोजन होता है, जिसमें देशभर के साधु-संत विभिन्न अखाड़ों के माध्यम से शामिल होते हैं।
हिंदू धर्म में वाराणसी को धर्म की नगरी कहा जाता है। जो सबसे पवित्र स्थानों में एक माना जाता है। वाराणसी का पुराना नाम काशी है। काशी को प्रकाश का स्थान भी कहा जाता है। यहां भगवान शिव का मंदिर है।
प्रयागराज में 13 जनवरी से कुंभ मेले की शुरुआत होने जा रही है। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा समागम है, जिसमें लाखों हिंदू श्रद्धा की डुबकी लगाते हैं।