नवीनतम लेख
नवीनतम लेख
6:00 AM - 7:00 PM
भारत के हृदय यानि की मध्य प्रदेश में भगवान शिव के कई अनोखे और चमत्कारी मंदिर हैं। जिनकी अपनी अलग मान्यताएं और कथाएं हैं। एक ऐसा ही शिव मंदिर मंदसौर की शिवना नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर को पशुपतिनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर मंदसौर के सबसे उत्कृष्ट मंदिरों में से एक है। देश भर से हजारों भक्त यहां के प्रमुख देवता भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं।
इस मंदिर के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं। इनमें से एक किवंदती के अनुसार कहा जाता है कि मंदिर में विराजित अष्टमुखी शिवलिंग एक कपड़े धोने वाले उदाजी को शिवना नदी के तल में मिला था। उदाजी रोज शिवना नदी के किनारे लगभग 15 फीट ऊंचे एक विशाल पत्थर पर कपड़े धोता था। एक रात सोते समय, उसके स्वप्न में भगवान शिव आए और उन्होंने कहा कि तुम मेरी मूर्ति पर कपड़े धोते हो। अगले दिन उदाजी ने नदी में जाकर पत्थर की खोज की तो पता चला कि उदाजी जिस पत्थर पर कपड़े धोता था वो वास्तव में एक शिवलिंग है। इसके बाद मंदसौर के लोगों ने इस शिवलिंग को बैलगाड़ी से उज्जैन ले जाने की कोशिश की, लेकिन बैलगाड़ी के बैल एक मील भी आगे नहीं बढ़े। इसके बाद उदाजी को फिर से स्वप्न आया कि इस शिवलिंग की स्थापना मंदसौर में ही होनी चाहिए। यहीं से पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर के निर्माण की शुरुआत मानी जाती है।
इसके अलावा हर साल बरसात के दिनों में शिवलिंग से जुड़ी एक असामान्य घटना भी होती है। बरसात में शिवना नदी का जल स्तर 90 फीट बढ़ जाता है। जो भगवान शिव को स्पर्श करने लगता है। इससे ऐसा प्रतीत होता है जैसे शिवना नदी भगवान शिव का जलाभिषेक कर रही है।
पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर की सबसे खास विशेषताओं में से एक इसका अष्टमुखी (आठ मुख वाला) शिवलिंग है। ये शिवलिंग 4.5 मीटर (15 किलोग्राम) ऊंचा है और इसका वजन 4.6 टन है। यह भगवान शिव की एक ऐसी दुर्लभ और अनोखी मूर्ति है, जिसमें दो खंड हैं। लिंग के ऊपरी भाग में चार सिर हैं, जबकि नीचे निचले हिस्से में चार अन्य सिर खुदे हुए हैं। शेव धर्मशास्त्र के अनुसार आठ चेहरे भगवान शिव के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक है: महादेव, पशुपति, भावम, इसाना, उग्र, शर्वा, आसनी ओर रुद्र। सभी चेहरों की आंखें खुली हुई हैं, उनके माथे पर तीसरी आंख है। प्रत्येक हार, झुमके आदि जैसे आभूषणों से सुसज्जित है। उनके बाल जटिल हैं जो संभवतः अपने समय की अनूठी संस्कृति का प्रतीक हैं।
मंदसौर शिव मंदिर की यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे अच्छा है। इस समय के दौरान मौसम की स्थिति सुखद होती है और अक्टूबर और फरवरी के महीनों के दौरान आयोजित होने वाले महा शिवरात्रि और कार्तिक एकादशी का उत्सव देखा जा सकता है। मानसून मंदसौर में भारी वर्षा लाता है और इस मौसम में मंदिर जाने से बचना ही बेहतर है।
पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर सप्ताह में 7 दिन खुला रहता है, सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक कोई भी सुबह या शाम को भगवान को प्रसाद चढ़ा सकता है। मंदिर में प्रसाद का समय दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक है
दिल्ली से मंदसौर की दूरी 684 km है।
हवाई मार्ग : देश भर से घरेलू उड़ानों के माध्यम से पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। मंदसौर में अपना हवाई अड्डा नहीं है, लेकिन कोई व्यक्ति उदयपुर के उडबोक में स्थित महाराणा प्रताप हवाई अड्डे तक उड़ान भर सकता है ओर ट्रेन के माध्यम से शहर तक पहुंच सकता है। डबोक हवाई अड्डे से मंदसौर की दूरी 145 किमी है। अन्य निकटतम हवाई अड्डे इंदौर हवाई अड्डा (209 किमी) और भोपाल हवाई अड्डा (342 किमी) हैं। हवाई अड्डे से, मंदसौर शिव मंदिर तक पहुंचने के लिए कोई ट्रेन या बस ले सकता है।
ट्रेन द्वारा: भारत के अन्य प्रमुख शहरों में मंदसौर रेलवे स्टेशन से नियमित ट्रेनें जुड़ी हुई हैं, जिससे मंदिर तक पहुंचना आसान और त्वरित हो जाता है। दरअसल, सलाह दी जाती है कि आप रतलाम जंक्शन तक ट्रेन खोजें, जहां से मंदसौर के लिए कई ट्रेनें हैं, जिनमें लगभग 1.30 घंटे लगते हैं।
बस द्वारा: देश के अन्य प्रमुख शहरों से चलने वाली नियमित बसों के माध्यम से भी शहर तक पहुंचा जा सकता है।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
TH 75A, New Town Heights, Sector 86 Gurgaon, Haryana 122004
Our Services
Copyright © 2024 Bhakt Vatsal Media Pvt. Ltd. All Right Reserved. Design and Developed by Netking Technologies