दुनिया की चकाचौंध भूलूं मैं,
राम सिया राम ही बोलूँ मैं
है ना ठिकाना कोई ख़ुशी का
ऐसा तेज छाया मंदिर छवि का।
राम जी का मंदिर...
राम जी का मंदिर लगे नीको,
इसके आगे लगे सारो जग फीको।
यहाँ की गलियों में राम जी के चित्र है,
हर एक चित्र में पुरषोत्तम चरित्र है,
यहां हर किसी का चित्त हर जाता हैं,
फिर वो मस्ती में राम राम गाता हैं।
है मंगल शगुन, है मंगल भवन
बस जाते हैं देवों के भी मन
है भव्य विशाल, ये दिव्य दरबार
सिंहासन विराजे श्रीराम सरकार
स्वर्ग के बैभव को भूल जाओगे,
एक बार जो मंदिर आओगे
देख दंग रह जाओगे तुम सभी
(यहाँ) दर्शन मेरे ( अनमोल) प्रभु राम जी का ।
बात कल्पों की है,
ना ही अल्पों की है
ना दुनिया के झगड़े ना ही जल्पो की है।
ये बात हमारे संकल्पों की है
राम मंदिर के लिए हर्षित पलकों की है।
आये अयोध्या के द्वार हम ,
प्रभु राम का करने दीदार हम ,
सिर पे मेरे भक्ति सवार है
करके आए नौका विहार हम,
बना एक महल, जो है सूर्य के समान ,
कोटि कोटि धन्य हुए
जो रहे राम को निहार हम
यादें हमारे सीने में,
देती थी हमको ये पीड ,
अपने ही महल के आगे,
कैसी हालत में रहे रघुवीर,
भक्तों के रक्त का बलिदान,
अब रंग है ऐसा दिखा रहा ,
राम के मंदिर के आगे, अब स्वर्ग भी शर्मा रहा ।
हम सबका गुमान, है राम भगवान,
जहाँ राम बसे, वो साकेत समान,
ये केवल मंदिर नहीं , न केवल देवस्थान,
ये तो है हमारी आन बान और शान,
है राम दरबार मनोहर ऐसो,
योगीजन ध्यान कर खोजे जैसो,
मोहे काम लगे देव शिल्पी को ।।2।।
राम मंदिर लगे मोहे नीको हाँ
राम मंदिर लगे मोहे नीको,
इसके आगे लगे सारो जग फीको।
शास्त्रों में भगवान काल भैरव को भगवान शिव का रौद्र रूप माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान कालभैरव की पूजा-अर्चना करने से बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
प्रथम वंदनीय गणेशजी को समर्पित मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना का विशेष महत्व है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा का विधान है। इसी लिए विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता गणेश जी को समर्पित गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि का बनी रहती है।
हिंदू धर्म में मानव जीवन में कुल 16 संस्कारों का बहुत अधिक महत्व है इन संस्कारों में नौवां संस्कार कर्णवेध या कान छेदने का संस्कार।