सनातन हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व को नारी शक्ति और देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा को समर्पित है। इस दौरान तंत्र साधक बिहार के शक्तिपीठ थावे में भी साधना के लिए जुटेंगे, थावे में भक्त की पुकार पर कामाख्या से चलकर मां सिंहासनी आयी थीं। थावे में तंत्र साधक मां कामाख्या के स्वरूप की साधना करते हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में बिहार के थावे मंदिर में माघ गुप्त नवरात्रि के समय होने वाली तंत्र साधना के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं।
थावे मंदिर, बिहार के गोपालगंज ज़िले में है। यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है और इसे 'थावे वाली माता' के नाम से भी जाना जाता है। थावे मंदिर की कहानी भक्त रहषु स्वामी और चेरो वंश के राजा मनन सिंह से जुड़ी हुई है। माघ गुप्त नवरात्रि के दौरान बिहार के थावे में स्थित मां सिंहासनी के दरबार में दर्शन का अलग ही महत्व है। मान्यता है कि नवरात्रि में थावे मंदिर में माता दुर्गा की विधि अनुसार पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
साथ ही लंबे समय से चल रही समस्याएं देवी की कृपा से समाप्त होती हैं।
अष्टमी की रात में यहां पूरी रात तंत्र साधना होती है। इस दिन यहां विशेष तांत्रिक पूजा भी की जाती है। इसमें भारत के विभिन्न राज्यों के साधक भाग लेने के लिए पहुंचते हैं। बता दें कि यह 200 वर्ष से अधिक पुराना मंदिर है ।
थावे मंदिर की स्थापना की कहानी दिलचस्प है। थावे मंदिर के बारे में एक मान्यता है कि यहां मां दुर्गा ने अपने भक्त रहषु स्वामी की पुकार पर कामरूप कामाख्या से दर्शन दिए थे। एक अन्य मान्यता के मुताबिक, हथुआ के राजा युवराज शाही बहादुर ने थावे मंदिर की स्थापना की थी। थावे मंदिर में नवरात्रि के दौरान मेला लगता है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मान्यता है कि यहां जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी सारी मन्नत पूरी होती है।
चैत्र के महीने में यहां हर साल एक बड़ा मेला लगता है। थावे मंदिर में दर्शन को भक्त दूर- दूर से आते हैं। वैसे तो इस शक्ति स्थल पर सालों भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। लेकिन नवरात्र के समय यहां हजारों महिला तथा पुरुष श्रद्धालुओं की भीड़ से पूरा इलाका भक्ति मय बन जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर पहुंचने मात्र से ही देवी की कृपा शुरु हो जाती है और संकटो से छुटकारा मिलती है। पूजा अर्चना के लिए यहां लोग कई इलाकों से पहुंचते हैं। बता दें कि यहां थावे मंदिर में एक अजीबोगरीब पेड़ भी है। जिसका वानस्पतिक परिवार अभी तक पहचाना नहीं जा सका।
थावे मंदिर, गोपालगंज-सीवान राष्ट्रीय राजमार्ग पर है। यहां गोपालगंज रेलवे स्टेशन से भी पहुंचा जा सकता है। रेलवे स्टेशन से इस मंदिर की दूरी महज 6।5 किलोमीटर है।
गर्भाधान संस्कार एक महत्वपूर्ण हिन्दू संस्कार है, जो एक सौभाग्यशाली और गुणवान संतान की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह संस्कार हिन्दू शास्त्रों में वर्णित सोलह महत्वपूर्ण संस्कारों में प्रथम स्थान पर आता है और गर्भ-धारण के लिए शुभ समय पर किया जाता है।
सोना खरीदना एक महत्वपूर्ण निर्णय होता है, और इसके लिए शुभ मुहूर्त का चयन करना भी उतना ही आवश्यक माना जाता है। हिंदू धर्म में सोना खरीदने के शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में सोना खरीदने से जीवन में समृद्धि और सौभाग्य आता है।
हिंदू धर्म में, यशोदा जयंती का विशेष महत्व होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यशोदा जयंती का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण की मां यशोदा के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हालांकि, भगवान श्रीकृष्ण ने माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया था।
जब हम नए घर, दफ्तर या व्यावसायिक प्रतिष्ठान में प्रवेश करते हैं, तो कई वास्तु नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि भविष्य में इन स्थानों से लाभ मिले, वास्तु दोषों से बचना आवश्यक है। लेकिन कई बार, जाने-अनजाने में कुछ वास्तु दोष रह जाते हैं। ऐसे में गृह प्रवेश के समय हवन-पूजन और नवग्रह मंडल पूजा की जाती है, जिसे वास्तु पूजा कहा जाता है।