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Maa Bata Mangala, Puri (बाट मंगल मंदिर, पुरी)

Maa Bata Mangala, Puri (बाट मंगल मंदिर, पुरी)

Maa Bata Mangala: पुरी के काकतपुर में है मां बाट मंगला मंदिर, जहां देवी हर रात ब्रह्मांड का भ्रमण कर विश्राम को लौटती हैं

पुरी जिले के पूर्वी किनारे पर स्थित काकतपुर कस्बे में मां मंगला बाट मंदिर एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। पहले यह मंदिर प्राचीन प्राची नदी (जिसे सरस्वती भी कहा जाता है) के पूर्वी तट पर स्थित था। देवी तारा के अवतार मानी जाने वाली मां मंगला की ख्याति पूरे ओडिशा और भारत में फैली है।

देवी बाट मंगला: तीर्थ यात्रियों की मार्गदर्शक

यहां की लोक मान्यता के अनुसार, देवी बाट मंगला भगवान ब्रह्मा को रास्ता दिखाने वाली प्रथम शक्ति थीं। जब ब्रहमा सृष्टि निर्माण के लिए भ्रमित थे, तब देवी ने उन्हें जगन्नाथ का ध्यान करने को प्रेरित किया। यही कारण है कि ओडिया में 'बात' यानी रास्ता दिखाने वाली देवी को 'बात मंगला' कहा जाता है। पुरी जाने वाले तीर्थ यात्री और वाहन मंदिर में रुककर पहले दर्शन और पूजा करते हैं, तभी श्रीक्षेत्र (पुरी) की यात्रा पूरी होती है।

बिस्तर पर करती हैं विश्राम

मंदिर के गर्भगृह में एक खास पत्थर का बिस्तर बना है, जिसके बारे में मान्यता है कि देवी मां हर रात ब्रह्मांड का भ्रमण कर इसी पर आकर विश्राम करती हैं। यह बिस्तर सदियों पुराना है लेकिन आज भी नया जैसा प्रतीत होता है। यह मान्यता मंदिर को और रहस्यमय बना देती है।

उत्कलिय शैली की वास्तुकला

 मां मंगला मंदिर ओडिया स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण है। यह उत्कलिय पीड विमान शैली में बना है, जो ओडिशा की पारंपरिक मंदिर शैली मानी जाती है। मुख्य गर्भगृह में देवी पद्मासन मुद्रा में विराजमान हैं, उनके हाथों में अंकुश और पासा है। चेहरा सौम्य मुस्कान से युक्त है जो भक्तों को तुरंत आकर्षित करता है।

नबकलेबर के समय भी होती है पूजा

जब भी भगवान जगन्नाथ की नबकलेबर रस्म होती है, उस समय पवित्र लकड़ी से लदी गाड़ियां पहले बात मंगला मंदिर पहुंचती हैं। यहां पूजा होती है, उसके बाद ही वे पुरी प्रवेश करती हैं। यह रिवाज सदियों से चला आ रहा है।

मंदिर में दुर्गा पूजा, दशहरा, चैत्र मंगलवार जैसे पर्व बड़ी श्रद्धा और उत्साह से मनाए जाते हैं। इसके अलावा नवरात्रि, रथयात्रा, होली, राम नवमी, रक्षाबंधन और तुलसी विवाह जैसे पर्व भी मंदिर के उत्सव कैलेंडर का हिस्सा हैं।

कैसे पहुंचें मां मंगला मंदिर

  • सड़क मार्ग: भुवनेश्वर-पुरी हाईवे से सीधा जुड़ा है
  • रेलवे: पुरी रेलवे स्टेशन से नजदीक
  • हवाई मार्ग: भुवनेश्वर का बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम एयरपोर्ट है। 
  • दर्शन का समय: सुबह 5:00 बजे से रात 10:00 बजे तक
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