Logo

श्री अनंत वासुदेव मंदिर, भुवनेश्वर, ओडिशा (Sri Anantha Vasudev Temple, Bhubaneswar, Odisha)

श्री अनंत वासुदेव मंदिर, भुवनेश्वर, ओडिशा (Sri Anantha Vasudev Temple, Bhubaneswar, Odisha)

अपनी रसोई के लिए मशहूर है अनंत वासुदेव का मंदिर, पहले भगवान विष्णु की होती थी पूजा 


अनंत वासुदेव मंदिर ओडिशा के सबसे पुराने और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। भुवनेश्वर में स्थित ये मंदिर बिंदु सरोवर और लिंगराज मंदिर के करीब है। मंदिर में पूजे जाने वाले देवता भगवान वासुदेव (कृष्ण), भगवान अनंत (बलराम) और देवी सुभद्रा है। 


मंदिर का एक मुख्य आकर्षण इसकी रसोई है, जहां महाप्रसाद जिसे अभादा के नाम से जाना जाता है। इसे मिट्टी के बर्तनों में जलाऊ लकड़ी और मिट्टी के चूल्हे का उपयोग करके तैयार किया जाता है। मंदिर का यह पवित्र भोजन सबसे पहले देवताओं को परोसा जाता है और फिर मंदिर से सटे बाजार में भक्तों को परोसा जाता है। पूरा माहौल पुरी जगन्नाथ मंदिर के आनंद बाजार जैसा ही है। 


13वीं शताब्दी में हुआ निर्माण


पूर्वी गंगा राजवंश की रानी चंद्रिका देवी ने 13वीं शताब्दी में अनंत वासुदेव मंदिर की निर्माण करवाया था। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि मंदिर के निर्माण से पहले उसी स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा की जाती थी। 17वीं शताब्दी के अंत में, मराठों ने मंदिर का जीर्णोद्धार किया।


नक्काशीदार शिखर, ग्रेनाइट की मूर्तियां 


इस मंदिर की वास्तुकला लिंगराज मंदिर जैसी दिखती है और इसमें वैष्णव मूर्तियां हैं। इसमें नक्काशीदार शिखर हैं। मंदिर में जगमोहन, नट मंदिर और भोग मंडप के तीन कक्ष हैं। मंदिर की दीवार पर एक छवि भगवान विष्णु के वराह अवतार की संरचना है। यहां देवताओं की मूर्तियां लकड़ी की बजाय काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी है, जैसा कि पुरी मंदिर में देखा जाता है। 


बलराम सात फन वाले नाग के नीचे खड़े है और सुभद्रा अपने दोनों हाथों में रत्न कलश और कमल पकड़े हुए हैं और अपना बायां पैर दूसरे रत्न कशल पर रखे हुए हैं, जबकि कृष्ण गदा, चक्र, कमल और शंख पकड़े हुए हैं। अनंत वासुदेव मंदिर में दर्शन करते समय मुख्य गर्भगृह में कैमरा ले जाना वर्जित है।


मंदिर के त्यौहार


अनंत वासुदेव मंदिर के लिए जन्माष्टमी सबसे शुभ दिन माना जाता है। भगवान कृष्ण की पूजा के लिए हजारों भक्त मंदिर आते हैं। भक्त भगवान कृष्ण को मिठाई, मक्खन, दूध, दही, धूप, नए कपड़े और फूल चढ़ाते हैं।


अनंत वासुदेव कैसे पहुंचे


हवाई मार्ग - अनंत वासुदेव मंदिर जाने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो कि मंदिर से 4 किमी दूर है। यहां से आप टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।


रेल मार्ग - अनंत वासुदेव मंदिर जाने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन है जो मंदिर से लगभग 4.2 किमी दूर हैं। यहां से आप रिक्शा या ऑटो के द्वारा मंदिर जा सकते हैं।


सड़क मार्ग - भुवनेश्वर देश के सभी प्रमुख मार्गों से जुड़ा हुआ है। यहां आप आसानी से सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं।


मंदिर का समय - सुबह 6.30 बजे से शाम 7 बजे तक।


........................................................................................................
पेशवाई का नामकरण कैसे हुआ

प्रयागराज में 2025 में होने वाले महाकुंभ की तैयारियां तेज़ी से चल रही हैं। हर 12 साल में आयोजित होने वाला यह धार्मिक महोत्सव भारत में एक बड़ा आयोजन है, जिसमें लाखों श्रद्धालु और साधु-संत गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में पवित्र स्नान करने आते हैं।

मंगलवार को बाल क्यों नहीं कटवाना चाहिए?

सप्ताह के हर दिन किसी न किसी ग्रह की पूजा होती है। मंगलवार का दिन मंगल ग्रह को समर्पित है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगल ग्रह को शक्ति और ऊर्जा का कारक माना जाता है। इस दिन की पूजा विधि और नियमों का पालन करने से मंगल ग्रह प्रसन्न होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

शाम को क्यों नहीं लगाई जाती झाड़ू

हिंदू धर्म, अपनी प्राचीन परंपराओं और मान्यताओं के लिए जाना जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में ऐसी अनेक बातें लिखी हुई हैं जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी हुई हैं। ये मान्यताएं पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही हैं। आपने अक्सर अपने बड़ों से सुना होगा कि रात में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए या शाम के बाद तुलसी को नहीं छूना चाहिए।

मासिक दुर्गाष्टमी 2025 लिस्ट

सनातन धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी का एक विशेष महत्व है, जो हर माह अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। 2025 में पहली मासिक दुर्गाष्टमी 7 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन मां दुर्गा का पूजन और व्रत किया जाता है। जो भी इस दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत करता है।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang