ओडिशा के प्रमुख पर्यटन स्थलों में सुंदरगढ़ जिले के वैष्णो देवी मंदिर के साथ हनुमान वाटिका का नाम भी शामिल है। यहां 74 फीट 9 इंच ऊंची हनुमानजी की प्रतिमा का निर्माण किया गया है। इस मंदिर की खासियत यह है कि हनुमान वाटिका में देश के प्रख्यात मंदिरों के ढांचे में 21 मंदिरों का निर्माण किया गया है। यहां रोजाना सभी देवी-देवताओं की पूजा की जा रही है। हर दिन यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचकर मंदिर के दर्शन करते हैं।
राउरकेला में हनुमान वाटिका को पर्यटन स्थल का रूप देने की परिकल्पना 1992 में की गयी थी। तब से इसका निर्माण शुरू किया गया। करीब 13 एकड़ क्षेत्र में बनाया गया है यह मंदिर। सुबह से देर शाम तक यहां भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। लोग परिवार के साथ यहां शांतिपूर्ण माहौल में समय गुजारते हैं।
देवी देवताओं की पूजा करने का अवसर भक्तों को देने के साथ साथ यहां पर्यटकों को हर तरह की सुविधा देने की योजना बनाई गई है। यहां 74 फीट 9 इंच ऊंची हनुमानजी की प्रतिमा का निर्माण किया गया। हालांकि, अब इस प्रतिमा ने सबसे ऊंची प्रतिमा का दर्जा खो दिया है। जून 2003 में आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में 134 फीट ऊंची हनुमान की प्रतिमा का निर्माण किया गया है।
हनुमान वाटिका में भी ओडिशा के पुरी स्थित प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ मंदिर की तरह अबड़ा भोग मिलता है। रोजाना सुलभ दर पर कूपन लेकर भगवान का प्रसाद प्राप्त करना होता है। प्रसाद का स्वाद पुरी के प्रसाद के समान होने के कारण भक्तों द्वारा इसे काफी पसंद किया जाता है।
इसके अलावा पंक्ति में बैठ कर भक्त दोपहर के समय चावल, दाल, बेसर, खीर, चटनी आदि प्रसाद का सेवन कर सकते हैं। यहां पर्यटकों के ठहरने के लिए भी सुलभ दर पर कमरे उपलब्ध हैं। साथ ही शादी-विवाह एवं अन्य धार्मिक कार्यक्रम के लिए कल्याण मंडप का भी निर्माण कराया गया है।
मंदिर पहुंचने का निकटतम रेलवे स्टेशन राउरकेला रेलवे स्टेशन है। यहां से हनुमान मंदिर लगभग 4.5 किमी की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा आप बस से भी हनुमान वाटिका जा सकते है। बता दें कि बस स्टॉप राउरकेला से मंदिर की दूरी लगभग 5 किमी है।
समय : सुबह 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक
गणेश चतुर्थी की शुरुआत भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है और यह पर्व चतुर्दशी तिथि को समाप्त होता है। यह 10 दिनों तक चलने वाला भव्य उत्सव होता है।
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं, क्योंकि यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान कृष्ण ने माता देवकी की आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया था।
सनातन धर्म में भाद्रपद माह को सभी माह में विशेष माना जाता है। इस माह को भगवान कृष्ण के जन्म से जोड़ा गया है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कन्हैया का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
सनातन हिंदू धर्म में, यशोदा जयंती का दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रत के साथ माता यशोदा और भगवान श्री कृष्ण के पूजन का भी विधान है। इस पर्व पर शुद्ध भाव से पूजा-पाठ, व्रत और सेवा करने से माता यशोदा और भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।