भगवान कुबेर को धन, वैभव और उत्तर दिशा के देवता के रूप में पूजा जाता है। वे शिवगणों के कोषाध्यक्ष और लक्ष्मी के सहचरी भी माने जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कुबेर की पूजा से व्यापार, संपत्ति और आर्थिक जीवन में वृद्धि होती है। भारत में भगवान कुबेर के कुछ मंदिर ऐसे हैं जहां विशेष अनुष्ठानों से उन्हें प्रसन्न किया जाता है। आइए जानें उनके प्रमुख मंदिरों के बारे में—
1. कुबेरनाथ मंदिर, मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश)
विंध्याचल धाम के पास स्थित यह मंदिर उत्तर भारत का सबसे प्रसिद्ध कुबेर मंदिर माना जाता है। दीपावली, अक्षय तृतीया और शुक्रवार को यहां भक्त विशेष पूजन करते हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से धन लाभ और आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
2. कुबेर मंदिर, मीनाक्षी अम्मन परिसर, मदुरै (तमिलनाडु)
दक्षिण भारत के मीनाक्षी अम्मन मंदिर परिसर में स्थित यह मंदिर भगवान कुबेर को समर्पित है। यहां देवी लक्ष्मी और कुबेर की संयुक्त उपासना की जाती है। विवाह, व्यापार और घर में समृद्धि के लिए लोग विशेष पूजा करवाते हैं।
3. कुबेरेश्वर महादेव मंदिर, थलतेज (अहमदाबाद, गुजरात)
यह मंदिर शिव और कुबेर दोनों को समर्पित है। यहां विशेष रूप से बुधवार और शुक्रवार को व्यापारी वर्ग बड़ी संख्या में पहुंचता है। यह मंदिर स्थानीय भक्तों के लिए एक आस्था केंद्र बन चुका है।
4. श्री लक्ष्मी कुबेर मंदिर, रावतुन्हल्लूर (तमिलनाडु)
यह मंदिर विशेष रूप से लक्ष्मी और कुबेर को समर्पित है। यहां कुबेर होम और विशेष अनुष्ठानों के जरिए भक्त आर्थिक स्थिरता और ऋणमुक्ति की कामना करते हैं। दीपावली के आसपास यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
5. कुडवासल कुबेर मंदिर, तिरुवारूर (तमिलनाडु)
तिरुवारूर जिले में स्थित यह मंदिर विष्णु मंदिर परिसर में स्थित है। यहां भगवान कुबेर को उत्तर दिशा के रक्षक और सौभाग्यदाता के रूप में पूजा जाता है। भक्त यहां व्यापार और नौकरी में तरक्की की प्रार्थना करते हैं।
6. एकंबरेश्वर मंदिर परिसर, चेत्तिकलम (तमिलनाडु)
इस शिव मंदिर में भगवान कुबेर की एक दुर्लभ प्रतिमा स्थापित है। यहां राशि अनुसार विशेष पूजन किया जाता है। माना जाता है कि यह कुबेर साधना के लिए शक्तिशाली केंद्र है।
सनातन धर्म में खरमास को विशेष महत्व बताया गया है। यह एक ऐसा समय होता है जब सूर्य देव धनु या मीन राशि में रहते हैं जिसमें मांगलिक कार्य पर रोक रहती है। इस साल खरमास रविवार, 15 दिसंबर 2024 से शुरू हो रहा है जो 14 जनवरी, 2025 को समाप्त होगा।
हिंदू धर्म में संक्रांति तिथि का काफी महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने सूर्य की राशि परिवर्तन पर संक्रांति मनाई जाती है। इस बार मार्गशीर्ष माह में 15 दिसंबर को धनु संक्रांति पड़ रही है।
गंगा नदी को मोक्षदायिनी और जीवनदायिनी कहा जाता है। हिंदू धर्म में देवी के रूप में पूजित, गंगा का जल न केवल शुद्ध है बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सनातन धर्म में भगवान सूर्य को ग्रहों का राजा बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि जिसकी राशि में भगवान सूर्य शुभ होते हैं, उसका सोया हुआ भाग्य भी जाग उठता है।