हिंदू धर्म में चारधाम यात्रा का बहुत बड़ा महत्व माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवभूमि उत्तराखंड में स्थित इन चार पवित्र स्थानों की यात्रा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन के सारे पाप दूर हो जाते हैं। इसलिए बहुत से लोग चाहते हैं कि वे अपने जीवन काल में कम से कम एक बार चारधाम यात्रा जरूर करें। उत्तराखंड की सुंदर वादियों में बसे ये चारधाम - यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ - आध्यात्मिक अनुभव देने वाले हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि चारधाम यात्रा क्यों जरूरी है और क्या है इसका महत्व।
इस साल चारधाम यात्रा 30 अप्रैल 2025 से शुरू हो रही है। यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी शुरू हो चुके हैं। 30 अप्रैल को यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खुलेंगे। इसके बाद 2 मई को केदारनाथ धाम और 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे।
चारधाम यात्रा सिर्फ एक धार्मिक सफर नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का रास्ता भी है। मान्यता है कि इन चार तीर्थों की यात्रा करने से जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। यह यात्रा घड़ी की सुई की दिशा में शुरू होती है, यमुनोत्री से शुरू होकर गंगोत्री, केदारनाथ और फिर बद्रीनाथ पर समाप्त होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में चारधाम की यात्रा कर लेता है, तो उसे जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। खासकर, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन और वहां का जल ग्रहण करने के बाद पुनर्जन्म का बंधन टूटने की बात कही जाती है। इसलिए कहा जाता है कि जीते जी चारधाम यात्रा जरूर करनी चाहिए।
चारधाम यात्रा हमेशा एक विशेष क्रम में की जाती है ताकि यात्रा सफलतापूर्वक पूरी हो सके। यह क्रम घड़ी की सुई की दिशा में होता है जो इस प्रकार है -
लागी तुम संग यारी,
मेरे बांके बिहारी,
लाज रखो हे कृष्ण मुरारी,
हे गिरधारी हे बनवारी,
महाकाल मेरी मंजिल,
उज्जैन है ठिकाना,
महाकाल नाम जपिये,
झूठा झमेला झूठा झमेला,