धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खरमास के दौरान शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन आदि नहीं किए जाते। खरमास पूजा-पाठ और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। इस दौरान गृहस्थ आश्रम में रहने वाले दंपतियों को भक्तिमय माहौल में रहना चहिए। ब्रह्मचर्य सहित पति-पत्नी को खरमास के दौरान कुछ खास उपाय जरूर अपनाने चाहिए। इन उपायों को अपनाकर दंपति अपने वैवाहिक जीवन में शांति और प्रेम को बरकरार रख सकते हैं। तो आइए इस आलेख में खरमास में किए जाने वाले इन उपायों को विस्तार से जानते हैं।
इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। जिसमें कहा गया है कि इस समय सूर्यदेव का रथ गधों द्वारा खींचा जाता है। इससे उनकी गति और ऊर्जा में कमी आ जाती है। इस स्थिति में किए गए मांगलिक कार्यों के सफल होने की संभावना बहुत कम मानी जाती है। इसलिए, इस दौरान मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है।
खरमास पूजा-पाठ और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। पति-पत्नी को खरमास के दौरान कुछ खास उपाय जरूर करने चाहिए।
हल्दी और चंदन का तिलक लगाना ज्योतिष के अनुसार अत्यंत शुभ होता है। यह भाग्य को तो प्रबल बनाता ही है। साथ ही मानसिक शांति भी प्रदान करता है। खरमास के दौरान पति-पत्नी को प्रतिदिन पूजा के बाद माथे पर हल्दी और चंदन का तिलक लगाना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और वैवाहिक जीवन में भी सुख-शांति बरकरार रहती है।
खरमास के दौरान, हर गुरुवार और शुक्रवार को एक मिट्टी के दीपक में दो कपूर के टुकड़े जलाएं। अब इसके धुएं को पूरे घर में फैलाएं। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। साथ ही वैवाहिक रिश्तों में मिठास बनी रहती है। इस उपाय से दांपत्य जीवन को नजर दोष से भी बचाया जा सकता है।
परशुराम जयंती हर साल भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम की जयंती के रूप में अक्षय तृतीया की शुभ तिथि पर मनाई जाती है। इस साल यह पर्व 29 अप्रैल को पड़ रहा है।
भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं, जिनका जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था लेकिन उन्होंने क्षत्रिय धर्म अपनाया था। भगवान परशुराम के जन्म का उद्देश्य अधर्म और अत्याचार का अंत करना था।
भगवान परशुराम हिन्दू धर्म के प्रमुख अवतारों में से एक हैं, जिन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। परशुराम जी का जन्मदिन हर वर्ष वैशाख शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, जिसे परशुराम जयंती के नाम से जाना जाता है।
परशुराम जयंती हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह वही तिथि है जब भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा के लिए छठा अवतार लिया था, जो भगवान परशुराम है।