परशुराम ने श्रीकृष्ण को दिया था सुदर्शन चक्र

Parshuram Jayanti 2025: भगवान परशुराम ने सौंपा था श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र, धर्म की रक्षा का लिया था वादा 


भगवान परशुराम हिन्दू धर्म के प्रमुख अवतारों में से एक हैं, जिन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। परशुराम जी का जन्मदिन हर वर्ष वैशाख शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, जिसे परशुराम जयंती के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम का जीवन धर्म, तपस्या, न्याय और वीरता का प्रतीक रहा है। साथ ही, वे सभी युगों में धर्म की रक्षा के लिए आए हैं, जिनमें से एक सुदर्शन चक्र की भी कथा है। 


द्वापर युग में श्रीकृष्ण को मिला था सुदर्शन चक्र

श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र केवल एक शस्त्र नहीं है, बल्कि संतुलन और न्याय का प्रतीक है। यह चक्र भगवान विष्णु के प्रमुख अस्त्रों में से एक माना जाता है। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार, इसे अक्षय चक्र भी कहा गया है क्योंकि इसका अस्तित्व कभी समाप्त नहीं हो सकता।

विष्णु पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु ने कठिन तपस्या कर भगवान शिव से ये चक्र प्राप्त किया था और फिर भगवान परशुराम जी को यह चक्र सौंपा था। भगवान विष्णु ने उनसे निवेदन किया था कि द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण का अवतार होगा, तब उन्हें इसकी आवश्यकता होगी। साथ ही, यह भविष्य में धर्म की रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।


सुदर्शन चक्र है धर्म की रक्षा का दिव्य अस्त्र

धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार, जब द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया, तब भगवान परशुराम ने उन्हें सुदर्शन चक्र सौंप दिया। यह चक्र केवल एक हथियार नहीं था, बल्कि धर्म की रक्षा और अधर्म को खत्म करने के लिए अत्यंत जरूरी था। श्रीकृष्ण ने महाभारत जैसे बड़े युद्ध में भी सुदर्शन चक्र का उपयोग करके अधर्मियों का अंत किया था।

ऐसा कहा जाता है कि जब परशुराम जी ने श्रीकृष्ण को यह चक्र दिया, तब उन्होंने कहा था कि इसका इस्तेमाल सिर्फ धर्म की रक्षा के लिए किया जाए। शास्त्रों के अनुसार, यह चक्र बहुत तेज था तथा इसकी गति बहुत ज्यादा थी और यह कभी अपने लक्ष्य से चूकता नहीं था। यही वजह है कि इसे एक दिव्य और खास अस्त्र माना जाता है।


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