॥ स्तुति ॥
मैं नही जानू पूजा तेरी,
पर तू ना करना मैया देरी,
तेरा लख्खा तुझे पुकारे,
लाज तू रखले अब माँ मेरी ॥
॥ भजन ॥
बेटा बुलाए झट दौड़ी चली आए माँ,
अपने बच्चो के आँसू देख नहीं पाए माँ,
बेटा बुलाए झट दौड़ी चली आए माँ ॥
वेद पुराणो में भी माँ की, महिमा का बखान है ।
वो झुकता माँ चरणों में, जिसने रचा जहान है ।
देवर्षि भी समझ ना पाए, ऐसी लीला रचाए माँ ।
बेटा बुलाए झट दौड़ी चली आए माँ ॥
संकट हरनी वरदानी माँ, सबके दुखड़े दूर करे ।
शरण आए दिन दुखी की, विनती माँ मंजूर करे ।
सारा जग जिसको ठुकरादे, उसको गले लगाए माँ ।
बेटा बुलाए झट दौड़ी चली आए माँ ॥
बिगड़ी तेरी बात बनेगी, माँ की महिमा गा के देख ।
खुशियो से भर जाएगा, तू झोली तो फैलाके देख ।
झोली छोटी पड़ जाती है, जब देने पे आए माँ ।
बेटा बुलाए झट दौड़ी चली आए माँ ॥
कबसे तेरी कचहरी में माँ, लिख कर दे दी अर्जी ।
अपना ले चाहे ठुकरा दे, आगे तेरी मर्जी ।
लख्खा शरण खड़ा हथ जोड़े, जो भी हुकुम सुनाए माँ ।
बेटा बुलाए झट दौड़ी चली आए माँ ॥
बेटा बुलाए झट दौड़ी चली आए माँ,
अपने बच्चो के आँसू देख नहीं पाए माँ,
बेटा बुलाए झट दौड़ी चली आए माँ ॥
धनतेरस पर विभिन्न वस्तुओं की खरीदी का रिवाज है। इस शुभ दिन पर खरीदारी करने की परंपरा धनतेरस की पौराणिक मान्यता के साथ ही आरंभ हुई है।
छोटी दिवाली अमावस्या के एक दिन पहले यानी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।
दिवाली से ठीक एक दिन पहले यानी 30 अक्टूबर को छोटी दिवाली मनाई जाएगी। जिसे नरक चतुर्दशी, यम दिवाली, काली चौदस या रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
छोटी दिवाली के दिन मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण, मां काली और यमराज की पूजा करने का विधान है। इस दिन संध्या के समय यमराज को दीप अर्पित किया जाता है।