देना हो तो दीजिए,
जनम जनम का साथ ।
अब तो कृपा कर दीजिए,
जनम जनम का साथ ।
मेरे सर पर रख बनवारी,
अपने दोनों यह हाथ ॥
देने वाले श्याम प्रभु से,
धन और दौलत क्या मांगे ।
श्याम प्रभु से मांगे तो फिर,
नाम और इज्ज़त क्या मांगे ।
मेरे जीवन में अब कर दे,
तू कृपा की बरसात ॥
देना हो तो दीजिए,
जनम जनम का साथ ॥
श्याम तेरे चरणों की धूलि,
धन दौलत से महंगी है ।
एक नज़र कृपा की बाबा,
नाम इज्ज़त से महंगी है ।
मेरे दिल की तम्मना यही है,
करूँ सेवा तेरी दिन रात ॥
देना हो तो दीजिए,
जनम जनम का साथ ॥
झुलस रहें है गम की धुप में,
प्यार की छईया कर दे तू ।
बिन माझी के नाव चले ना,
अब पतवार पकड़ ले तू ।
मेरा रास्ता रौशन कर दे,
छायी अन्धिआरी रात ॥
देना हो तो दीजिए,
जनम जनम का साथ ॥
सुना है हमने शरणागत को,
अपने गले लगाते हो ।
ऐसा हमने क्या माँगा जो,
देने से घबराते हो ।
चाहे जैसे रख बनवारी,
बस होती रहे मुलाक़ात ॥
देना हो तो दीजिए,
जनम जनम का साथ ॥
देने वाले श्याम प्रभु से,
धन और दौलत क्या मांगे ।
श्याम प्रभु से मांगे तो फिर,
नाम और इज्ज़त क्या मांगे ।
मेरे जीवन में अब कर दे,
तू कृपा की बरसात ॥
हिंदू विवाह से पहले कई रस्में और परंपराएं निभाई जाती हैं, जो दूल्हा-दुल्हन के लिए बेहद खास और यादगार होती हैं। ये रस्में न केवल दोनों परिवारों को एक-दूसरे के करीब लाती हैं, बल्कि विवाह के पवित्र बंधन की शुरुआत भी करती हैं। इनमें पारंपरिक गीत, नृत्य और अनुष्ठान शामिल होते हैं, जो विवाह उत्सव को और भी रंगीन व यादगार बना देते हैं।
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है। वहीं आज बुधवार का दिन है। इस तिथि पर स्वाति नक्षत्र और वृद्धि योग का संयोग बन रहा है।
मार्च का महीना हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन और चैत्र महीने में बंटा होता है। इस महीने में प्रकृति अपने रंग-बिरंगे रूप में नज़र आती है। वसंत ऋतु की शुरुआत होती है और प्रकृति नए जीवन से भर जाती है।
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। वहीं आज गुरुवार का दिन है। इस तिथि पर शतभिषा नक्षत्र और ध्रुव योग का संयोग बन रहा है।