चैत्र नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिसमें से मां दुर्गा का चौथा रूप देवी कूष्मांडा का है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी कूष्मांडा की मुस्कान से पृथ्वी का निर्माण हुआ था, इसलिए उन्हें सृष्टि का पालक भी कहा जाता है।
पूजा शुद्ध रूप से पूर्ण करने के लिए नीचे बताई गई चीजें निश्चित रूप से पूजा के पहले घर ले आएं। क्योंकि मां कूष्मांडा की पूजा में इन सभी समग्रियों का विशेष महत्व माना गया है।
मां कूष्माण्डा को सृष्टि की रचयिता मानी जाती है। धार्मिक कथाओं के अनुसार, देवी कूष्मांडा की पूजा करने से रोग, भय, दुख-दर्द और विशेष रूप से दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। साथ ही ऐश्वर्य, अच्छी सेहत और खुशियों की प्राप्ति होती है, और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसलिए चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की इस तरह पूजा करें, जिससे अपार कृपा, आशीर्वाद और सुख मिलता है।
काली काली अलको के फंदे क्यूँ डाले,
हमें जिन्दा रहने दे ऐ मुरली वाले ॥
काली कमली वाला मेरा यार है,
मेरे मन का मोहन तु दिलदार है,
कलयुग का देव निराला,
मेरा श्याम है खाटू वाला,
कलयुग में फिर से आजा,
डमरू बजाने वाले,