कलयुग में फिर से आजा,
डमरू बजाने वाले,
दुःख दर्द सब मिटा जा,
डमरू बजाने वाले ॥
विष पीके तुमने बाबा,
संसार को बचाया,
भैरव के रूप में भी,
महाकाल बनके आया,
दानव को फिर मिटा जा,
तांडव रचाने वाले,
कलयुग मे फिर से आजा,
डमरू बजाने वाले ॥
दानव देव ऋषियों ने,
सबने है तुम्हे ध्याया,
संतो के लिए बाबा,
सातों धाम रचाया,
भक्तो को फिर जगा जा,
उज्जैन वाले बाबा,
कलयुग मे फिर से आजा,
डमरू बजाने वाले ॥
कलयुग में फिर से आजा,
डमरू बजाने वाले,
दुःख दर्द सब मिटा जा,
डमरू बजाने वाले ॥
बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में विशेष तौर पर मनाया जाने वाला छठ पर्व कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इस व्रत की पहली शर्त 36 घंटे लंबा निर्जला उपवास रखना होती है।
छठ पूजा बिहार और इसके आस पास के क्षेत्र का प्रमुख पर्व है और काफी धूमधाम से इसे मनाया जाता है। इसमें सूर्यदेव और उनकी बहन छठी मईया की आराधना की जाती है।
छठ पूजा एक प्राचीन हिंदू महापर्व है। जिसे मुख्य रूप से बिहार, झारखंड पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है।
छठ पर्व भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसे कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है। छठ महापर्व का देशभर में प्रचलन बढ़ रहा है।