भक्तों के घर कभी,
आजा शेरावाली,
कुटिया का मान,
बढ़ा जा शेरावाली,
भक्तो के घर कभी,
आजा शेरावाली ॥
पलकों के आसन पे,
तुझको बिठाएंगे,
हलवा पूड़ी का मैया,
भोग लगाएंगे,
भाव का ये भोग,
लगा जा शेरावाली,
भक्तो के घर कभी,
आजा शेरावाली ॥
इन अखियों को बस,
मैया तेरी आस है,
आएगी जरूर माता,
रानी विश्वास है,
भक्तो की आस,
पूरा जा शेरावाली,
भक्तो के घर कभी,
आजा शेरावाली ॥
आजा आजा मैया,
तेरा लाड लड़ाएंगे,
‘सौरभ मधुकर’ संग,
भजन सुनाएंगे,
रिश्ता ये प्रेम का,
निभा जा शेरावाली,
भक्तो के घर कभी,
आजा शेरावाली ॥
भक्तों के घर कभी,
आजा शेरावाली,
कुटिया का मान,
बढ़ा जा शेरावाली,
भक्तो के घर कभी,
आजा शेरावाली ॥
मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों में से आठवां स्वरूप हैं विद्या लक्ष्मी का जो विज्ञान और कला के साथ ज्ञान की देवी हैं। इनकी आराधना करने से इन तीनों चीजों में व्यक्ति वृद्धि और विकास करता है।
धैर्य लक्ष्मी को अष्टलक्ष्मी में पांचवां स्थान मिला है। धैर्य लक्ष्मी की आराधना से हमें धन और जीवन प्रबंधन में मदद मिलती है।
धान्य लक्ष्मी, मां लक्ष्मी का तीसरा रूप हैं जिसे मां अन्नपूर्णा के रूप में भी पूजा गया है। धान्य का अर्थ है अनाज या अन्न। ऐसे में लक्ष्मी इस स्वरूप में अन्न या अनाज के रूप में वास करती हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अष्ट लक्ष्मी में वीर लक्ष्मी वीरता और साहस की देवी हैं। जो दुश्मनों पर विजय दिलाने में सहायक हैं। वीर लक्ष्मी की प्रचलित पौराणिक कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है।