अवतार ओ भोले,
अपने भक्तो की सुनले,
पुकार ओ भोले,
अपने भक्तो की सुनले,
पुकार ओ भोले ॥
दुनिया बनाने वाले,
कर दुनिया का ख्याल रे,
तेरे संसार का हुआ है,
बुरा हाल रे,
भाई को भाई रहा मार ओ भोले,
भाई को भाई रहा मार ओ भोले,
अपने भक्तो की सुनले,
पुकार ओ भोले,
अपने भक्तो की सुनले,
पुकार ओ भोले ॥
हाल कभी पूछ आके,
भोले तू गरीब का,
लिख्या सब ते न्यारा,
भाग क्या ते बदनसीब का,
रोटी देदे भूखा तो मत मार ओ भोले,
रोटी देदे भूखा तो मत मार ओ भोले,
अपने भक्तो की सुनले,
पुकार ओ भोले,
अपने भक्तो की सुनले,
पुकार ओ भोले ॥
पापियों के पाप धो धो,
गंगा मैली हो गई,
पापों से लड़ेगी कब तक,
ये पहेली हो गई,
तेरे बिना होगा ना उद्धार ओ भोले,
तेरे बिना होगा ना उद्धार ओ भोले,
अपने भक्तो की सुनले,
पुकार ओ भोले,
अपने भक्तो की सुनले,
पुकार ओ भोले ॥
आजा कलयुग में लेके,
अवतार ओ भोले,
अपने भक्तो की सुनले,
पुकार ओ भोले,
अपने भक्तो की सुनले,
पुकार ओ भोले ॥
दीपोत्सव दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का प्रमुख त्योहार गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को आता है।
पापांकुशा एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है।
शरद पूर्णिमा के बारे में कहा जाता है कि इस दिन रात को चंद्रमा की रोशनी से अमृत बरसता है। अश्विन मास की पूर्णिमा का ये दिन शरद ऋतु की शुरुआत माना जाता है।
वाल्मीकि जयंती अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इसे शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।