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चैत्र नवरात्रि दूसरे दिन की पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि दूसरे दिन की पूजा विधि

Navratri 2nd Day Puja Vidhi: चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की ऐसे करें पूजा विधि, इससे मिलेगा माता का आशीर्वाद


चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है जो मां दुर्गा का स्वरूप हैं। मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। इसलिए उन्हें तपस्या की देवी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन विधिवत रूप से देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से धैर्य, आत्मविश्वास और शांति की प्राप्ति होती है।


मां ब्रह्मचारिणी पूजन की विशेष सामग्री


चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन की पूजा के लिए ये सभी सामग्री अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए इन सभी सामग्री को थाली में सजा कर रख लें, ताकि पूजा के समय वो जल्द ही मिल जाए।


मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या फोटो।


  • गंगाजल के साथ दूध, दही, घी, शहद और चीनी से बना हुआ पंचामृत।
  • रोली, कुमकुम, अक्षत, कमल के फूलों की माला, बेलपत्र, घी, दीया, धूप, सुपारी, लौंग, इलायची और सफेद फूल।
  • भोग के लिए शुद्ध दूध से बनी मिठाइयां, लड्डू, मिश्री और बताशे।


मां ब्रह्मचारिणी का पंचामृत से करें अभिषेक


  • चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले या सफेद रंग के वस्त्र धारण करें, फिर पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • देवी ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या फोटो को पंचामृत से स्नान कराएं, फिर शुद्ध जल से धोकर अभिषेक कर लें और मां को सफेद फूल, कमल के फूल की माला और बेलपत्र अर्पित करें।
  • इसके बाद रोली और कुमकुम का टीका मां ब्रह्मचारिणी को लगाएं और अक्षत मां के चरणों में चढ़ाएं।
  • ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी को सफेद भोग जैसे मिठाई, मिश्री, चीनी बहुत ही प्रिय है, इसलिए उन्हें यह भोग जरूर लगाएं।
  • अंत में घी का दीपक और धूप जला कर माँ की आरती करें, और "या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता" का मंत्र जाप करें।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विद्यार्थियों के लिए है अत्यंत लाभकारी

देवी ब्रह्मचारिणी करुणा, सहानुभूति, और साधना की प्रतीक मानी जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से डर, भय और कष्ट समाप्त होते हैं, साथ ही आत्मविश्वास और धैर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विशेष रूप से छात्रों को करनी चाहिए, इससे उन्हें छात्र जीवन में कठिन तपस्या नहीं करनी पड़ती है और जल्द ही सफलता की भी प्राप्ति होती है।


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किसे नहीं देखना चाहिए होलिका दहन

होली का त्योहार जितना रंगों और उमंग से भरा होता है, उतनी ही महत्वपूर्ण इससे जुड़ी धार्मिक परंपराएं भी हैं। होलिका दहन एक पौराणिक परंपरा है, जो बुराई के अंत और अच्छाई की जीत का प्रतीक मानी जाती है।

कैसे शुरू हुई होलिका दहन की प्रथा

होली का पर्व रंगों और उमंग के साथ-साथ धार्मिक आस्था से भी जुड़ा हुआ है। होलिका दहन की परंपरा हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

होलिका दहन के दौरान ना करें ये गलती

होलिका दहन का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने के लिए होलिका दहन किया जाता है।

होलिका दहन के उपाय

होलिका दहन नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने और जीवन में खुशहाली लाने का प्रतीक माना जाता है। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से आर्थिक तंगी, शारीरिक बीमारियों और व्यापार में आ रही परेशानियां दूर हो सकती हैं।

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