कर्क संक्रांति, हिंदू पंचांग के अनुसार वह दिन होता है जब सूर्यदेव मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश करते हैं। यह परिवर्तन 12 संक्रांतियों में से एक महत्वपूर्ण संक्रांति मानी जाती है और इसी दिन सूर्य दक्षिणायन हो जाते हैं। वर्ष 2024 में कर्क संक्रांति 16 जुलाई को मनाई जाएगी। ज्योतिष शास्त्र में सूर्यदेव को आत्मा, पिता, सम्मान और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। ऐसे में इस दिन उनका पूजन विशेष रूप से फलदायी होता है।
अर्घ्य देते समय चप्पल-जूते न पहनें, सिर को ढककर और ध्यानस्थ होकर सूर्य की उपासना करें। भोजन में तामसिक चीजों का सेवन न करें, सादा व सात्विक भोजन करें।
इस दिन से दक्षिणायन की शुरुआत होती है, जिसे देवताओं की रात्रि कहा गया है। अतः यह समय आत्मचिंतन, साधना और तप का माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार कर्क संक्रांति के दिन किए गए दान-पुण्य का फल सौ गुना अधिक मिलता है। इस दिन गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र, तांबा, सात अनाज, और जल से भरे घड़े का दान करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।
कुलदेवी की पूजा,
जो करता है दिन रात,
कुमार मैने देखे,
सुंदर सखी दो कुमार ।
क्या करे इन हाथों का,
इतने इतने हाथ,
क्या लेके आया बन्दे,
क्या लेके जायेगा,